समाचार विश्लेषण/हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के हाल
ताश के बावन पत्ते और कांग्रेस के कितने?
-*कमलेश भारतीय
कहते हैं कि ताश के बावन पत्ते और सबके सब हर्जाई , मैं लुट गया राम दुहाई । पर हमारी हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के कितने पत्ते हैं ? कोई जानता हो तो बताओ यार । कोई नहीं जानता । हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के टुकड़े हजार हुए , कोई यहां गिरा , कोई वहां गिरा । कोई यहां गया , कोई वहां गया और कौन कहां गया ? किसी को कुछ पता नहीं । और आगे भी पता नहीं चलने वाला ।
अभी उदयभान को अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालना है और अभी शिकायतें भी सोनिया गांधी तक पहुंचने लगीं कि देखो जी , शैलजा की फोटो बड़े अपमानित ढंग से हटा दी । देखो जी , जो निष्कासित लोग है , वही शैलजा की फोटो के ऊपर अपनी फोटो चिपका गये हैं । अभी तो शुरूआत है बधाई देने की , आगे आगे देखिये होता है क्या और कहां तक यह सिलसिला चलेगा । इंतज़ार कीजिए और दिल थाम कर देखिए यह कांग्रेस का खेल । बधाई देने का अंदाज देखिए । बधाई मतलब नयी से नयी शिकायत । कांग्रेस को तो इसी गुटबाजी ने मार रखा है । इससे छुटकारा पाने का कोई उपाय नहीं किसी के पास न कोई फार्मूला है । बस दे दनादन पेले जाओ विरोधी को । यही नीति और यही रणनीति है ।
अभी कहा जा रहा है कि फ्री हैंड दिया गया है पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को तो क्या विरोध करने का भी फ्री हैंड दिया गया है कुछ लोगों को ? क्या इस पर कार्रवाई की जायेगी कांग्रेस हाईकमान की ओर से ? अभी शक्ति प्रदर्शन होना है चंडीगढ़ में जब कार्यभार संभालेंगे । फिर कुछ निष्कासित किये नेताओं पर पुनर्विचार किया जायेगा । उन्हें वापस कांग्रेस में बाकायदा लाया जायेगा । हिसार से तो बरवाला के पूर्व विधायक रामनिवास घोड़ेला का निष्कासन पक्का पक्का रद्द होने वाला है । निष्कासित होने के बाद भी हुड्डा का दामन नहीं छोड़ा, हुड्डा को ही अपना नेता मानते रहे । अपने हर पारिवारिक समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री को बुलाते रहे । ऐसे और लोग भी होंगे जो गुटबाजी के शिकार होकर कांग्रेस से बाहर हो गये या कर दिये गये थे । इनकी वापसी जल्द होती दिखाई दे रही है । इसी तरह कुछ लोगों की विदाई भी हो सकती है जो गुटबाजी में बढ़चढ़कर भाग लेते रहे । ऐसे लोग या तो खुद या फिर अध्यक्ष द्वारा विदा हो जायेंगे । कहते हैं न कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है ,,,जो है नाम वाला , वही तो हिटलिस्ट पर है कि मैं झूठ बोल्या ? यही जो भावना है इसे सुधारने की जरूरत है ।सहनशीलता जरूरी है । तभी संगठन भी बन पायेगा । पर जब जिम्मेदारी ली है , लक्ष्य लिया है कि अगली बार कांग्रेस सरकार तो फिर सब दाम , दंड , भेद अपनाए जायेंगे कि नहीं ?
हमें तो इतना पता है कि अभी काफी पत्ते फेंटे जायेगे और कितने पत्ते हैं , कोई नहीं जानता ,,,,
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।