समाचार विश्लेषण/कांग्रेस और तीसरे मोर्चे का गठन

समाचार विश्लेषण/कांग्रेस और तीसरे मोर्चे का गठन
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
इन दिनों एक तरफ कांग्रेस के अंदर बाहर खलबली मची हुई है और दूसरी तरफ तीसरे मोर्चे के गठन की चर्चायें चल रही हैं । प्रशांतकिशोर नयी भूमिका में नज़र आ रहे हैं । मजेदार बात कि आज कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाये जाने का समर्थन किया है और कहा कि राहुल जवाब में कह रहे हैं कि वे अभी सोच रहे हैं इस बारे में । अब कितनी देर तक सोचेंगे राहुल बाबा ? न शादी कर रहे हो और न अध्यक्ष पद संभालने को तैयार हो रहे हो ? कहीं तो माला स्वीकार करो बाबा । आप जब तक सोच रहे हो तब तक कपिल सिब्बल और वीरप्पा मोइली अटैक पे अटैक किये जा रहे हैं । सर्जरी की मांग उठा रहे हैं और आप हैं कि सोचे जा रहे हो ? इतनी लम्बी सोच करोगे तब तक अगला लोकसभा चुनाव सिर पर आ जायेगा और लोग नेतृत्व की मांग करेंगे ।  तब क्या जवाब दोगे ? अभी तो काफी अनुभव हो गया होगा और नये व वरिष्ठ कांग्रेसियों को जान चुके हो । जयराम रमेश जी 23 समूह का भी बचाव करते कह रहे हैं कि यह कांग्रेस की परम्परा है यानी पार्टी के अंदर रहकर पार्टी का विरोध करना? यह परंपरा तो अच्छी नहीं।

दूसरी ओर शरद पवार नये मोर्चे के गठन में जुट गये हैं और उनके रणनीतिकार हैं  प्रशांत किशोर । ऐसी सुगबुगाहट है कि इस नये मोर्चे में शायद कांग्रेस को कोई तवज्जो नहीं दी जायेगी । यह गैर कांग्रेसी मोर्चा होगा । जैसे यूपी में बसपा सपा गठबंधन में कांग्रेस को कोई जगह नहीं दी गयी थी । बेशक अब सपा बसपा की राहें भी अलग हो चुकी हैं और बसपा के विधायक सपा में मिल रहे हैं । सवाल यह उठता है कि कांग्रेस को अछूत क्यों माना जाने लगा है? पश्चिमी बंगाल में समझौता किया माकपा के साथ और दोनों डूबे । पहले यूपी में सपा के साथ गठबंधन हुआ और यह टैग लाइन आई कि हमें यह साथ पसंद है और यह गठबंधन करवाने वाला कौन था ? यही प्रशांत किशोर महाश्य । है न कमाल और दिवालियापन राजनेताओं का । एक प्रशांत किशोर शरद पवार को भी नचाने जा रहा है । कभी नीतीश कुमार को नचाया तो कभी ममता बनर्जी को तो कभी कैप्टन अमरेंद्र सिंह को । वैसे शुरूआत भाजपा से हुई थी । क्या हमारे राजनेता इतने नासमझ हो चुके कि बाहर से आकर कोई इन्हें रणनीति बताये ? यह तो हद से भी ऊपर की बात हो गयी कि नहीं ? बताइये न ....