छोटी छोटी बातों में बंटी कांग्रेस 

छोटी छोटी बातों में बंटी कांग्रेस 

-*कमलेश भारतीय
गाने के बोल‌ तो हैं कि छोटी छोटी बातों में बंट गया संसार, कांग्रेस पर बिल्कुल फिट बैठते हैं-छोटी छोटी बातों में बंटी है यह कांग्रेस ! ऊपर से लेकर नीचे तक बंटवारा ही बंटवारा, गुटबाजी ही गुटबाजी ! अभी नवरात्रे भी खत्म होने की ओर आये लेकिन कांग्रेस लोकसभा चुनाव के संभावित प्रत्याशियों पर बस मंथन ही किये जा रही है। भाजपा या दूसरे दलों के घोषित प्रत्याशी फील्ड में उतर चुके हैं और ज़ोरों से प्रचार कर रहे हैं जबकि कांग्रेस का एक दूसरे से सिर जोड़कर मंथन ही चल रहा है । नवरात्रों की शक्ति भी बेकार जा रही है । 
वैसे भी जिन दिनों राहुल गाँधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हरियाणा आये थे, तब विपक्षी नेताओं ने यही कहा था कि पहले कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालिये राहुल बाबा, फिर भारत जोड़ने निकलना ! वैसे भारत तो जुड़ा ही हुआ है, आप अपनी कांग्रेस को जोड़ने का काम करो । यही क्यों, इस बार जब न्याय यात्रा शुरू की, तब भी पहले दिन से लेकर कांग्रेस से भाजपा मे जाने की यात्रा बराबर चलती रही । मुम्बई पहुंचने तक कितने कांग्रेस नेता भगवा रंग में रंग में रंगे जा चुके थे ! इस तरह कांग्रेस के भीतर जो दीमक लगी है, वह इसको लगातार खोखला किये जा रही है । वह कांग्रेस को खाये जात है । गुटबाजी चरम पर है, जिसके चलते अभी तक हरियाणा, पंजाब और हिमाचल की लोकसभा सीटों पर सारे प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हो पाई । हरियाणा में तो एक की भी घोषणा नहीं हुई जबकि हिमाचल में तीन, पंजाब में छह की घोषणा तो हुई । हरियाणा ही सबसे ज्यादा गुटबाजी में फंसा लगता है और यहां काटा निकालने का बड़ा रिवाज है। जींद उपचुनाव में यही बात भाजपा नेता प्रो रामबिलास शर्मा ने कही थी कि कांग्रेस नेता यहां किसी की मदद करने नहीं आये बल्कि कांटा निकालने आये हैं और सचमुच रणदीप सुरजेवाला का कांटा निकाल दिया और उन्हें अपनी राजनीति राजस्थान में राज्यसभा में जाकर बचानी पड़ी ! ऐसा लगता है कि अभी लोकसभा प्रत्याशियों के चयन में भी कांटे निकालने की कवायद चल रही होगी ! 
सबसे मज़ेदार बात कही कभी कांग्रेस के छह साल अध्यक्ष रहे और अब सिरसा से भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर ने कि मैंने चार सम्पत्तियां बेच कर  कांग्रेस को सींचा लेकिन मुझे काम नहीं करने दिया गया । इसी तरह सुश्री सैलजा का हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल ही पूरा नहीं होने दिया गया । उन्हें बीच में ही अपना पद छोड़ना पड़ा, जो कसक अब भी उनके दिल में है और यही कसक गुटबाजी को बढ़ावा देती है। इसी गुटबाजी के चलते न‌ तो सैलजा प्रदेश कांग्रेस का संगठन बना पाईं और‌ न ही अभी तक नये प्रदेशाध्यक्ष उदयभान संगठन बना पाये हैं, बस, अपने अपने संगठन यानी गुटबाजी हो रही है ! बिना संगठन के ही कांग्रेस चुनाव में जायेगी । इस गुटबाजी और कांटा निकालने और कांटा चुभोने ने कांग्रेस को खोखला कर रखा है । इसका कोई इलाज भी नहीं ढूंढा जा रहा । बेशक इसी गुटबाजी के चलते कभी चौ बीरेंद्र सिंह कांग्रेस छोड़ गये थे। ‌वे अपने बेटे के साथ कांग्रेस में घर वापसी कर चुके हैं लेकिन अभी तक बृजेंद्र सिंह को भी इंतज़ार है लोकसभा क्षेत्र का, जहां से उन्हें मैदान में उतारा जायेगा ! सुश्री सैलजा विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करती रहीं लेकिन लगता है कि उन्हें लोकसभा में ही उतरना पड़ेगा । जैसा हाईकमान चाहे! 
फिर भी छोटी छोटी बातों में बंट हुई दिखती है कांग्रेस ! 
एक ईंट क्या गिरी मेरे मकान की 
लोगों ने आने जाने का रास्ता बना लिया! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।