समाचार विश्लेषण/कांग्रेस को अब लगा चंद्रग्रहण
-कमलेश भारतीय
कांग्रेस को कितने ग्रहण लगेंगे ? पहले कुलदीप बिश्नोई ने राज्यसभा चुनाव में ग्रहण बन कर हरवा दिया और अजय माकन दिल्ली से आकर भी खाली हाथ लौट गये । कुलदीप बिश्नोई तो कुलदीप बिश्नोई दूसरे ग्रहण की खोज अभी बाकी है । यह ग्रहण किधर से आया और कब तक रहेगा ? यह भी कहा नहीं जा सकता । पर कांग्रेस और कांग्रेसी हैं कि सुधरने को तैयार नहीं, मानने को तैयार नहीं । आदमपुर उपचुनाव में भी ग्रहण लगे । न सैलजा , न किरण चौधरी और न ही रणदीप सुरजेवाला प्रचार के लिये समय निकाल पाये ! सब बहुत व्यस्त थे या बीमार या फिर सोचते ही रह गये और चुनाव की धूल उड़ती रही । और हम गुबार देखते रहे -चुनाव निकल गया । हार हो गयी और फिर ठीकरा एक दूसरे के सिर फोड़ने लगे ! यह है कांग्रेस की नेट प्रेक्टिस ! सन् 2024 के महामुकाबले की तैयारी ! क्या खूब तैयारी है !
अब नया चंद्रग्रहण लगा है कांग्रेस पर । जैसे ही विजयी भव्य बिश्नोई विधायक पद की शपथ लेकर बाहर आये , सीधे पंचकूला पहुचे अपने ताऊ चंद्रमोहन के आवास पर ! ताऊ भी बाट देख रहे थे और आते ही गले लगा लिया अपने परिवार के पांचवें विधायक को ! भव्य ने भी जीत के बाद हिसार में अपने आवास पर मीडिया के सामने कहा थे कि चंद्रमोहन मेरे पिता समान हैं । बेशक उनकी राजनीति अलग है । फिर भी हमारा पारिवारिक रिश्ता मजबूत है । फिर इस रिश्ते की मजबूती पूरे हरियाणा ने देखी । जादू की झप्पी भी सबने देखी ! अब इस जादू की झप्पी से क्या से क्या हो गया काग्रेस में !
अब इस जादू की झप्पी ने कांग्रेस में गुटबाजी का फिर बबाल मचा दिया । युवा कांग्रेस के अध्यक्ष दिव्यांश बुद्धिराजा ने इस पर कहा कि एक बड़े कांग्रेस नेता ने फोन कर भव्य के पक्ष में वोट डालने की अपील की और इसकी ऑडियो उनके पास मौजूद है । वे कांग्रेस के पक्ष में तो प्रचार से दूरी बनाये रहे लेकिन भव्य के लिए वोट मांगते रहे ! इशारे साफ साफ चंद्रमोहन की ओर हैं ! इस तरह अब कांग्रेस में चंद्रग्रहण लग गया है । कांग्रेस की बी टीम यानी युवा कांग्रेस भी मैदान में आ गयी है । पहले किरण चौधरी चर्चा में रहीं और कार्यकर्त्ताओं के द्वार के बहाने क्या कुछ नहीं कहती रहीं ! अब बारी चंद्रमोहन की है । कब तक चलेगी यह चर्चा ! कब तक लगा रहेगा ग्रहण गुटबाजी का ? एक दौर थमते ही दूसरा दौर शुरू हो जाता है ! आखिर सन् 2024 की तैयारियां भी तो करनी है और यह उसी की रिहर्सलों का दौर है । क्या कीजै!
दिल ही कि मानता नहीं ।
कांग्रेसी हैं कि मानते नहीं ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।