लोकतंत्र बचाने निकली आपातकाल वाली कांग्रेस
-कमलेश भारतीय
आखिर राजस्थान कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में कांग्रेस लोकतंत्र बचाओ अभियान चलाने निकली । हरियाणा में भी यह अभियान चलेगा । प्रदर्शन होंगे और नारेबाजी भी । सबसे बड़ी बात जो कांग्रेस को चुभ सकती थी वह शाहनवाज हुसैन ने कह दी है कि जिस कांग्रेस ने देश को आपातकाल दिया , वही कांग्रेस किस मुंह से लोकतंत्र बचाने की बात करती है ? यानी लोकतंत्र की बात कांग्रेस के नेताओं के मुंह से शोभा नहीं देती । यह सन् 1975 की बात है , 25 जून का दिन । किसी को नहीं भूलता । सारा देश कोरोना की तरह लाॅकडाउन कर दिया गया था और बड़े बड़े नेता जेलों में ठूंस दिये गये थे । कुछ कुलदीप नैयर जैसे पत्रकार भी । यानी मीडिया पर भी हमला बोला था । फिर इसकी सज़ा मिली कांग्रेस को जब रायबरेली से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और भिवानी से चौ बंसीलाल जैसे दिग्गज बुरी तरह हारे । पर सिर्फ अढ़ाई साल बाद कांग्रेस इसलिए वापसी कर पाई क्योंकि जनता दल में फूट बढ़ गयी थी और चौ चरण सिंह ने इंदिरा गांधी को हथकड़ी लगाने की भूल की थी । ऐसी ही भूल हरियाणा में हुई थी चौ बंसीलाल के साथ । खैर ।
कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में एन टी रामाराव की चुनी हुई सरकार पलटने की कोशिश की । राज्यपाल रामलाल भी मोहरा बन गये केंद्र के हाथ में । आज देश में तो क्या हिमाचल में भी रामलाल का नाम कोई नहीं लेता । जिस स्थिति में राजस्थान का संकट आ गया है , उसमें राज्यपाल की भूमिका और उनका विवेक उतना ही जरूरी हो गया है । मुख्यमंत्री 31 जुलाई को विधानसभा सत्र बुलाना का न्यौता फिर दे आए हैं । जो भी कारण बताये या कमियां बताओं वे पूरी कर दीं । अब तक महामहिम राष्ट्रपति की ओर निहार रहे हैं और खुद सिर्फ राज्यपाल भवन में कांग्रेस विधायक आकर नारेबाजी क्यों कर गये , इस बात को कोस रहे हैं । भाजपा भी कोस गयी है । क्या अब आपातकाल नहीं है ? आपातकाल जैसे हालात नहीं हैं ? मीडिया क्या स्वतंत्र है ? मीडिया को छूट है ? यदि छूट होती तो प्रसून वाजपेयी चैनल दर चैनल न नौकरी न खोजते फिरते । यदि छूट होती तो प्रणब राॅय चिंतित न होते । रवीश कुमार को गोदी मीडिया न कहना पड़ता । बेशक यह भी अति है लेकिन अति दोनों तरफ है । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अर्णव गोस्वामी को ही क्यों ? बहुत कुछ है । आपातकाल तो एक ट्रेलर मात्र रहा । पूरी पिक्चर तो अभी बाकी है दोस्त । लोकतंत्र कितने दिन खैर मनायेगा राजस्थान में ? ईडी है , सीबीआई है और वरद हस्त है पीछे से । पर्दे के पीछे से कठपुतलियां नचाई जा रही हैं और आखिर कब तक खैर मनाएगी राजस्थान में कांग्रेस सरकार ? बतायेंगे साहब ?