कांग्रेस को हरियाणा में लगा बड़ा झटका। वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय सिंह यादव ने दिया पार्टी से इस्तीफा।
कहा, "पार्टी हाईकमान द्वारा उनके साथ "बुरा व्यवहार" करने से हैं निराश।
रोहतक, गिरीश सैनी। हालिया विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने से चुकी हरियाणा कांग्रेस को वीरवार को एक और बड़ा झटका लगा है। प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ ओबीसी नेता कैप्टन अजय सिंह यादव ने वीरवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कांग्रेस छोड़ने की घोषणा करते हुए कैप्टन अजय सिंह यादव ने कहा कि वह "पार्टी हाईकमान द्वारा उनके साथ "बुरा व्यवहार" करने से निराश हैं। कैप्टन यादव ने कहा कि पार्टी छोड़ने का फैसला "बहुत कठिन" था क्योंकि वह और उनका परिवार पिछले 70 सालों से इस पुरानी पार्टी से जुड़े हुए हैं। यादव ने एक्स पर लिखा, "मैंने एआईसीसी ओबीसी विभाग के अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया है।" उन्होंने आगे लिखा: "इस्तीफा देने का यह फैसला वास्तव में कठिन था, क्योंकि मेरे परिवार का 70 साल से जुड़ाव था। मेरे पिता स्वर्गीय राव अभय सिंह 1952 में विधायक बने थे और उसके बाद मैंने पारिवारिक परंपरा को जारी रखा, लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद पार्टी हाईकमान द्वारा मेरे साथ किए गए खराब व्यवहार से मैं निराश हूं।"
कांग्रेस का बड़ा ओबीसी चेहरा रहे कैप्टन अजय सिंह यादव रेवाड़ी से पांच बार विधायक रह चुके हैं और वह हरियाणा सरकार में मंत्री भी रहे हैं। अजय सिंह यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के समधी हैं। लालू प्रसाद के दामाद और कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव को रेवाड़ी से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।
पार्टी में दरकिनार किए जाने के चलते कैप्टन लंबे समय से नाराज चल रहे थे। प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेशाध्यक्ष उदयभान की कार्यशैली को लेकर भी वह नाखुश थे। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय उपरांत उन्होंने खुलकर पार्टी की खामियों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि जिस तरह जनादेश मिलने से पहले ही मुख्यमंत्री पद को लेकर विभिन्न नेताओं में लड़ाई होने लगी, वह बहुत बड़ी गलती थी, जिसका खामियाजा पार्टी ने भुगता। उन्होंने कांग्रेस नेता मामन खान पर भी एक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया।
हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद, कैप्टन यादव उन चुनिंदा पार्टी नेताओं में से एक थे, जिन्होंने खुले तौर पर पार्टी को 'दक्षिण हरियाणा' क्षेत्र में अपनी विफलता पर आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी थी। दक्षिणी हरियाणा को अक्सर गुड़गांव, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ में फैले अहीरवाल क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। भाजपा ने अहीरवाल क्षेत्र पर अपना कब्जा जारी रखते हुए - गुड़गांव, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के दक्षिण हरियाणा जिलों में 11 में से 10 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में भाजपा ने यादव लैंड की सभी 11 सीटें जीती थीं, जो 2019 के चुनाव में घटकर आठ रह गई थी। हालिया विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस बेल्ट की 10 सीटों पर अपनी बढ़त बनाए रखी। महेंद्रगढ़ में नांगल चौधरी निर्वाचन क्षेत्र एकमात्र अपवाद रहा, जहां कांग्रेस ने जीत हासिल की।
कांग्रेस की हार उपरांत यादव ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किया था, "पार्टी को दक्षिण हरियाणा खासकर गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और फरीदाबाद में अपनी विफलता के लिए आत्मनिरीक्षण करना चाहिए, जहां उसे सिर्फ 1 सीट मिली।" उन्होंने आगे कहा कि अहीरवाल का सीडब्ल्यूसी, सीईसी, एआईसीसी महासचिवों और एचपीसीसी में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। उसी पोस्ट पर उन्होंने कहा था, "अहीरवाल का सीडब्ल्यूसी, सीईसी, एआईसीसी महासचिवों और यहां तक कि एचपीसीसी में भी कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। एआईसीसी ओबीसी के अध्यक्ष एक दिखावा और दंतहीन हैं।"