अमेरिका चुनाव में भी संविधान मुद्दा

अमेरिका चुनाव में भी संविधान मुद्दा

-*कमलेश भारतीय
यह भी खूब रही । भारत के लोकसभा चुनाव के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भी संविधान मुद्दा बनने जा रहा है । अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव पांच नवंबर को होने जा रहा है । पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड  ट्रम्प के सामने भारतीय मूल की कमला हैरिस ने मोर्चा संभाल लिया है । पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन‌ स्वास्थ्य कारणों से कमला हैरिस के पक्ष में चुनाव से हट गये हैं और कमला हैरिस ने सबसे पहले ट्रम्प पर यही आशंका जाहिर की है कि यदि ट्रम्प फिर से सत्ता में आये तो वे संविधान खत्म कर देंगे । कमला हैरिस का कहना है कि वे ट्रम्प को अच्छी तरह से जानती हैं । अब हमारी लड़ाई हमारे भविष्य और हमारी आज़ादी की लड़ाई है । कमला हैरिस के अनुसार यह चुनाव हमारे‌ जीवनकाल का सबसे महत्त्वपूर्ण चुनाव है । हमें किसी भी कीमत पर ट्रम्प को रोकना है । अगर ट्रम्प राष्ट्रपति बने तो वे संविधान खत्म कर देंगे ! बाइडेन ने भी कमला हैरिस का समर्थन करते कहा कि अब टिकट पर नाम बदल गया है लेकिन मिशन बिल्कुल नहीं बदला है ! हमें अभी इस लोकतंत्र को बचाने की आवश्यकता है । कमला हैरिस का समर्थन करने की अपील की है बाइडेन ने ! यही नहीं दो बड़े डेमोक्रेटिक नेताओं‌‌ चक शूमर और हकीम जफ्रीस ने भी कमला हैरिस को समर्थन दे दिया है‌ ! कमला हैरिस को चौबीस घंटे में रिकॉर्ड 677 करोड़ रुपये का चंदा मिला है । सट्टा बाज़ार ने भी पासा पलट लिया है। कमला हैरिस की बढ़त दिखाने लगा है । तमिलनाडु के तिरुवरुर मे कमला हैरिस के पैतृक‌ गांव‌ थुलासेंद्रपुरम् में जश्न का माहौल है । 
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव और हमारे लोकसभा चुनाव में एक अजब समानता देखने को मिल रही है कि हमारे विपक्ष ने भी 'संविधान बचाओ' को मुद्दा बनाया था जबकि कमला हैरिस ने भी संविधान बचाने को मुद्दा बनाते अपने प्रचार अभियान की शुरुआत की है । यह भी संयोग ही है कि ट्रम्प और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अच्छे दोस्त हैं तो क्या इनकी सोच भी एक जैसी और इनका विरोध‌ भी एक जैसा होने जा रहा है ? कमला हैरिस सूनक की तरह भारतीय मूल की हैं । ‌सूनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर हम भारतवंशी बहुत खुश हुए थे लेकिन सिवाय इस खुशफहमी के हमें कुछ नहीं मिला कि अंग्रेज़ों पर एक  भारतीय मूल का व्यक्ति राज करने रजा रहा है लेकिन सूनक ने निराश किया और बुरी तरह हार भी झेली ! 
अब सवाल उठता है कि अमेरिका जैसे सम्पन्न देश में भी संविधान खतरे में है? यदि ऐसा है तो बहुत दुखद है और कमला हैरिस को सफलता मिलनी चाहिए ! जैसे हमारे देश में  दस सालों में पहली बार मजबूत विपक्ष का सामना सरकार को करना पड़ रहा है । किसी भी लोकतंत्र के लिए यह स्थिति बहुत सुखद है । अब तो विपक्ष के नेता की 'बाल बुद्धि' पर कोई संदेह करने की गुंजाइश नहीं रह गयी ! खैर ! देखते हैं कमला हैरिस संविधान बचाने में सफल होती हैं या नहीं!! 
कहीं किसी रोज़ यूं भी होता 
हमारी हालत तुम्हारी होती! 
बड़ी वफा से निभाई तूने 
हमारी थोड़ी सी बेवफाई!! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।