समाचार विश्लेषण/हरियाणा में पंच परमेश्वर पर विवाद
-*कमलेश भारतीय
हरियाणा में जब से नये पंच परमेश्वर चुनाव कर आये हैं तब से राज्य के पंचायत मंत्री व नये पंचों सरपंचों में न केवल विवाद बल्कि यह संबंध टकराव में बदलता जा रहा है । विवाद का कारण मात्र दो लाख रुपये की ग्रांट जो सरपंचों के अनुसार ऊंट के मुंह में जीरे के समान है । दो लाख रुपये में तो एक गली भी नहीं बनती और गांव के लोग हमारे लत्ते फाड़ने को तैयार हो जायेंगे । इस तर्क के जवाब में हमारे पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली का कहना है कि विकास के लिए तो अनुदान जितना चाहोगे देने को तैयार हूं लेकिन खाने के लिए इसकी सीमा बढ़ाकर बीस लाख नहीं करूंगा । बस । डैडलाॅक दोनों ओर है ।
हिसार के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में जब नवनिर्वाचित पंच सरपंचों को मिलने पंचायत मंत्री आये तो इससे पहले कि कार्यक्रम शुरू होता कुछ सरपंचों ने नारेबाजी शुरू कर दी । नारेबाजी करते ही वे सभिगार से निकल गये । दूसरी ओर खफा मंत्री देवेंद्र बबली ने कहा कि इस तरह मैं इनके दबाब में आने वाला नहीं । मैं इनके रिकाॅल की बात भी कर सकता हूं और ये दृश्य लगभग हर जगह हो रहा है । मंत्री महोदय जरा गौर कीजिए आप इनके रिकाॅल की बात उठाकर अपने सबके लिए मुसीबत तो मोल लेने नहीं जा रहे ? क्या सभी जनप्रतिनिधियों के रिकाॅल की मांग न उठने लगेगी ? संदीप सिंह और महिला कोच के बीच जो हुआ क्या संदीप सिंह को रिकाॅल नहीं करना चाहिए ? यह बहुत अलग दिशा में बात को लेकर जा रहे हो आप ! इसके आगे खतरनाक मोड़ है !
दूसरी ओर अभय चौटाला ने सरपंचों के लिए कहा कि जैसे प्रदेशभर में मुख्यमंत्री की सरकार होती है वैसे ही गांव में सरपंचों की सरकार होती है ।मुख्यमंत्री जहां प्रदेश के मुखिया होते हैं , वहीं सरपंच अपने गांव के ! अभय चौटाला ने कहा कि नये पंचों सरपंचों की पावर सरकार ने कम कर दी है । पंचायत मंत्री जहां भी जा रहे हैं उनका स्वागत् नहीं बल्कि विरोध हो रहा है । पंचायतों को छोटी सरकार कहने के बावजूद इनका अनुदान मात्र दो लाख रुपये क्यों ?
इसी प्रकार पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्य के वरिष्ठ नेता चौ बीरेन्द्र सिंह ने भी हिसार में बीरेन्द्र सिंह के साथी कार्यक्रम में कहा कि देख रहा हूं कि कार्यक्रम में नये पंच सरपंच बड़ी संख्या में और बड़ी उम्मीद लेकर आये हैं । मैं आपके दुख दर्द को समझ रहा हूं । इसके बावजूद मेरा अनुभव कहता है कि कोई भी अपनी शक्तियां दूसरे को बांटने को तैयार नहीं । चंडीगढ़ से गांव तक शक्तियां कैसे बांटी जायें ? मुख्यमंत्री से शीघ्र ही मिल कर इस बात को रखूंगा और कोई न कोई हल सामने आयेगा । अब एक सप्ताह बीत गया । चौ बीरेन्द्र सिंह मिले या नहीं ? सरपंचों को इंतजार है ।
मुंशी प्रेमचंद ने पंच परमेश्वर कहानी लिखकर बहुत पहले गांवों में पंचायत के महत्त्व को बता दिया था । अब पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली को भी पंचायतों की ताकत का अंदाजा लग गया होगा और उन्हे अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए न कि रिकाॅल की दुहाई देनी चाहिए ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।