कोरोना राष्ट्रीय आपदा , इसमें सेवा भाव प्रमुख होना चाहिए: डाॅ कुलदीप कुमार
-कमलेश भारतीय
कोरोना राष्ट्रीय आपदा है और ऐसे में डाॅक्टर्ज को सेवा भाव से काम करना चाहिए । यह कहना है हिसार के सबसे उम्रदराज डाॅक्टर कुलदीपक कुमार का जो आज भी इंद्रप्रस्थ कालोनी में नियमित तौर पर क्लिनिक चला रहे हैं । वे मुस्करा कर कहते हैं कि अब मेरे पास ज्यादातर मेरी उम्र के मरीज ही आते हैं जो कहते हैं कि हम भी बूढ़े और हमारा डाॅक्टर भी बूढ़ा, वही हमारा रोग समझ सकता है । डाॅ कुलदीप कुमार मूल रूप से नरवाना के रहने वाले हैं । दसवीं वहीं के गवर्नमेंट स्कूल से की और जमा दो लुधियाना से तो एम बी बी एस की मेडिकल काॅलेज , अमृतसर से । तब संयुक्त पंजाब था जिसमें हिमाचल भी शामिल था ।
-पहली जाॅब ?
-दिसम्बर , सन् 1957 में मेडिकल काॅलेज , पटियाला में हाउस सर्जन । सिर्फ सात माह और फिर कलायत की टूरिग डिस्पेंसरी में । इसके बाद चार साल हरिपुर गुलेर कांगड़ा में बिताये ।
-उन दिनों तो पहाड़ के रास्ते भी नहीं होते थे । यह तो एक प्रकार से सज़ा जैसी बात हो जाती होगी ।
-नहीं । मैंने इसे खूब इंजाॅय किया । इसके बाद फिर मेडिकल काॅलेज , पटियाला में और फिर बरनाला तलबंडी साबो में ड्यूटी की ।
-हरियाणा में कब वापस आए ?
-सन् 1966 में हरियाणा बनते ही आठ नवम्बर को हिसार । फिर तो जिला हिसार के फतेहाबाद , उकलाना और सिरसा के मंडी डबवाली आदि में सेवायें दीं ।
-स्वास्थ्य निदेशक कब बने ?
-सन् 1989 में और लगभग चार साल रहा।
-आपका परिवार?
-पत्नी सत्यवती जो ग्रेजुएट हैं । दो बेटे जिनमें एक डाॅ अजय नहीं रहे । उनकी पत्नी डाॅ कांता गोयल रेडियोलोजिस्ट है । बेटी डाॅ शशि किरण रोहतक में है । दूसरे बेटे का नाम है सुदीप जो दिल्ली में अपनी कम्पनी चलाता है ।
-कोरोना में जैसी खबरें आती हैं कि डाक्टर्ज आपदा को अवसर बना रहे हैं तो आपका क्या कहना है ?
-यह कोरोना राष्ट्रीय आपदा है । इसमें सेवा भाव प्रमुख होना चाहिए। वैसे बंदे बंदे पर निर्भर करता है ।
-क्या शौक हैं आपके ?
-साहित्य पढ़ने का बहुत शौक है । रीडर्ज डाइरेक्ट का नियमित पाठक । रवींद्रनाथ टैगोर , आर के नारायण और थामस हार्डी आदि लेखक पसंद हैं ।
-कोई संस्था जिससे जुड़े हों ?
-अपनी डाॅक्टर्ज की आईएमए जिसका एक बार प्रधान भी रहा ।
हमारी शुभकामनाएं डाॅ कुलदीप कुमार को ।