कोरोना जाने वाला नहीं, घर से ही करना होगा काम
कोरोना की तीसरी लहर शुरू होते ही कॉर्पोरेट कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम फिर से लौटने लगा है।
इस साल भी घर बैठ कर काम करने की संस्कृति यानी वर्क फ्रॉम होम जारी रहने की संभावना है, क्योंकि कोरोना है कि थमने का नाम नहीं ले रहा। सुना है केंद्र सरकार एक कानूनी संरचना लाने की योजना पर काम कर रही है जिसका उद्देश्य घर से काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एम्पलॉयर्स के दायित्व को परिभाषित करना है। वर्क फ्रॉम होम कल्चर न सिर्फ अपने देश में, बल्कि दुनिया भर के अनेक देशों में चल रहा है। कोरोना के नये वेरिएंट ओमिक्रॉन के आने से इसमें और बढ़ोतरी देखी गयी है। सरकारें और कंपनियां इस सुझाव पर भी विचार कर रही हैं कि हाइब्रिड मॉडल अपनाया जाये, जिसमें कुछ दिन ऑफिस में बैठकर काम करना होता है और कुछ दिन घर से। दिल्ली सरकार ने तो पहले ही निजी कंपनियों को निर्देश दे दिये हैं कि दफ्तर बंद रखें और वर्क फ्रॉम होम मॉडल से काम चलायें। पिछले दो वर्षों में लगभग सभी बड़ी कंपनियों का कामकाज इसी वजह से बहुत अधिक प्रभावित हुआ है।
घर से काम करने पर चूंकि कर्मचारियों को कंप्यूटर, बिजली और इंटरनेट आदि पर खर्च करना होता है, इसके लिए केंद्र सरकार काम के घंटे तय करने और घर से काम करने के लिए इंटरनेट और बिजली के बिल के भुगतान पर भी विचार कर रही है। सरकार को लगने लगा है कि कोरोना जल्दी जाने वाला नहीं, इसलिए लंबे समय के वर्क फ्रॉम संबंधी नियम बना लिए जायें, ताकि किसी भी पार्टी को नुकसान न उठाना पड़े और अर्थव्यवस्था का पहिया घूमता रहे। सरकार के नये ढांचे में सभी क्षेत्रों की कंपनियों को दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जाएगा। कई देशों ने इस मामले में पहले ही नियम बना लिए हैं। बदलती स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए, बंगलौर स्थित इंफोसिस कंपनी ने कहा है कि उसने सतर्क रुख अपनाया है। इससे पहले एनआर नारायण मूर्ति के स्वामित्व वाली कंपनी ने कहा था कि वह अपने कर्मचारियों को कार्यालय में वापस लायेगी। इसी तरह, एचसीएल टेक्नोलॉजीज की भी यही योजना थी और अब वह सतर्क दिख रही है।
कोरोना की तीसरी लहर शुरू होते ही कॉर्पोरेट कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम फिर से लौटने लगा है। अनुमान है कि अप्रैल तक हालात ऐसे ही बने रहेंगे, तब तक दफ्तरों के सामान्य कामकाज बाधित रहेंगे और कर्मचारी अपने अपने घरों से ही काम करेंगे। सिप्ला दवा कंपनी ने वर्क फ्रॉम होम का आदेश जारी कर दिया है, जबकि महिंद्रा एंड महिंद्रा म्यूचुअल फंड ने कर्मचारियों से तीन दिन ही कार्यालय आने को कहा है, बाकी तीन दिन वे अपने घरों से ही काम करेंगे। महाराष्ट्र में राज्य सरकार के कर्मचारी भी हफ्ते में तीन दिन वर्क फ्रॉम होम नियम का पालन करेंगे। जिन अन्य कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम का नियम लागू हुआ है, उनमें प्रमुख हैं- पारले, फ्लिपकार्ट डाबर, आरपीजी ग्रुप, मेक माइ ट्रिप और मैरिको। भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी - टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के 10 प्रतिशत से भी कम कर्मचारी वर्तमान में अपने कार्यालयों से काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कंपनियों को सलाह दी है कि वे अपने कर्मचारियों को वापस न बुलायें और वर्क फ्रॉम होम व्यवस्था को यथासंभव लागू करें। इससे पहले आईटी सेक्टर की कई कंपनियां कर्मचारियों की उनके ऑफिस स्पेस में वापसी की तैयारी कर रही थीं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)