काउंसलिंग के समय संवेदनशील रहें काउंसलरः डॉ. नंदिता बाबू
जीजेयू में 'बेसिक काउंसलिंग स्किल्स' पर कार्यशाला आयोजित।
हिसार, गिरीश सैनी। दिल्ली विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की डॉ. नंदिता बाबू ने कहा है कि वर्तमान समय में काउंसलिंग अत्यंत आवश्यक हो गई है। बच्चों से लेकर हर वर्ग के व्यक्ति को समय-समय पर काउंसलिंग की आवश्यकता होती है। काउंसलिंग की प्रक्रिया व्यक्ति की आयु और परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग होती है। डॉ. नंदिता बाबू गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर काउंसलिंग एंड वेल बींग के सौजन्य से 'बेसिक काउंसलिंग स्किल्स' विषय पर आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रही थी। कार्यशाला की अध्यक्षता सेंटर निदेशक प्रो. संदीप राणा ने की।
मुख्य वक्ता डॉ. नंदिता बाबू ने बताया कि छोटे बच्चों और बड़े बच्चों की सोच का स्तर अलग-अलग होता है। काउंसलर को सोच के इस फर्क को समझना चाहिए तथा काउंसलिंग के समय संवेदनशील रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले के समय में बच्चों की समस्या को परिवार जन ही समझ कर सुलझा लेते थे। आज के समय में माता-पिता दोनों कामकाजी होते हैं और वे बच्चों की ओर ध्यान नहीं दे पा रहे। उन्होंने बताया कि काउंसलर में विषय का ज्ञान, संचार कौशल, असेसमेंट, इंटरवीनिंगस, एथिक्स प्रोफेशनल कोड का ज्ञान, स्वयं जागरूकता एवं स्वयं ज्ञान कौशल, आत्म चिंतन एवं आत्म मूल्यांकन के गुण होने चाहिएं। उन्होंने उदाहरण देकर समस्याओं के समाधान के बारे में बताया तथा विद्यार्थियों से भी समस्याओं के समाधान के बारे में उनके विचार लिए।
प्रो. संदीप राणा ने कहा कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियों से निपटने के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्श की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, चाहे वो तनाव प्रबंधन हो, करिअर मुद्दे हों, रिश्तों को बेहतर ढंग से प्रबंधन करने की बात हो या युवाओं को उनकी क्षमता के अनुरूप आगे बढ़ने का मार्गदर्शन हो। इस दौरान शिक्षक, विद्यार्थी एवं शोधार्थी मौजूद रहे।