समाचार विश्लेषण/हिम्मत हरसिमरत कौर बादल की 

समाचार विश्लेषण/हिम्मत हरसिमरत कौर बादल की 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
आखिर पंजाब के वयोवृद्ध नेता प्रकाश सिंह बादल की पुत्रवधु हरसिमरत कौर ने हिम्मत दिखाई और केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने में देर नहीं लगाई । बेशक किसान अध्यादेशों के विरोध में हरसिमरत ने यह कदम उठाया लेकिन इस पर कदम के पीछे पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की छवि सुधार करने की मंशा ज्यादा दिखती है । शिरोमणि अकाली दल की पैठ किसान वर्ग में ही तो है । खासतौर पर मालवा के इलाके में और वैसे भी भाजपा का सहारा अब बोझ लगने लगा है । तभी तो कहा साहिर लुधियानवी ने कि ऐसा रिश्ता हो जाए तो तोड़ना अच्छा । शहरी वोटर पर ही भाजपा का असर पंजाब में है । ग्रामीण क्षेत्र में अकाली दल और भाजपा खूब टक्कर लेते हैं । शहरों में तो वोट काटने के लिए अब आप पार्टी भी आ चुकी है । इसलिए ग्रामीण वोट बैंक के लिए यह कदम बहुत जरूरी और सही कदम है । 
दूसरी ओर पंजाब में कांग्रेस कैप्टन अमरेंद्र सिंह तक सिमट गयी और उनका विरोध पार्टी के अंदर जारी है । प्रताप सिंह बाजबा हाथ पांव मार रहे हैं । नवजोत सिंह सिद्धू नये घर की तलाश में हैं । शराब कांड ने कांग्रेस और कैप्टन की छवि पर काफी विपरीत प्रभाव डाला है । किसानों की बात राहुल गांधी ने बहुत की और कर्जे माफ करने को जोर शोर से उठाया पर मध्य प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी न होने की बात कह कर ज्योतिरादित्य सिंधिया हाथ झटक कर भाग निकले । 
वैसे भी भाजपा ने पंजाब और हरियाणा में अपने पुराने सहयोगी दलों को गुप-चुप कमजोर करने पर ही ज़ोर लगाया । इनेलो को बांट दिया और जजपा का जन्म हो गया । जजपा के तेवर गठबंधन के बाद वह नहीं रहे जिससे वह युवाओं में बड़ी तेज़ी से अपना प्रभाव जमा रही थी । जजपा को इस पर मंथन करना चाहिए । नहीं तो काफी नुकसान हो सकता है । पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इनेलो या जजपा से गठबंधन के लिए ज़ोर लगाया था चुनाव से पहले लेकिन भाजपा अकेले चलो की नीति पर चली । अब पंजाब में अकाली दल और भाजपा के बीच दूरियां साफ नज़र आने लगी हैं और हो सकता है अगले विधानसभा चुनाव में अकाली दल भाजपा के कमल के सहारे को छोड़ दे । पर यह भविष्य ही बतायेगा । पर हरसिमरत का यह कदम सही दिशा में है ।