समाचार विश्लेषण/कोर्ट की फटकार और ये सितारे
-*कमलेश भारतीय
एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा को फटकार लगाई तो दूसरे मामले में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने राम रहीम के उन श्रद्धालुओं को फटकार लगाई जिन्होंने याचिका दायर कर कहा था कि यह असली राम रहीम नहीं है । आपने कोई फिल्म देख ली होगी । जब कोई जेल में रहता है उसमें कुछ परिवर्तन तो आयेगा ही । इस तरह जहां नुपूर शर्मा अपनी याचिका वापिस ले गयी सुप्रीम कोर्ट की फटकार से , वहीं दूसरी याचिका को ठुकरा दिया पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने ।
सुनते हैं कि सुप्रीम कोर्ट से ऊपर कोई नहीं । फिर भी बाहुबली के लेखक व गीतकार मनोज मुंतशिर ने इस फैसले की आलोचना की जो नुपूर शर्मा को लेकर सुनाया गया । आपने जरूर बाहुबली लिखी होगी लेकिन आप सुप्रीम कोर्ट के माननीय जज से ज्यादा बाहुबली नहीं हो । आपको अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना चाहिए । नुपूर शर्मा को जज ने यही तो कहा कि आप ही उदयपुर और कानपुर की घटनाओं की जिम्मेदार हैं , जाइए पहले सारे देश से माफी मांगिये । क्या गलत कहा ? इसके बावजूद इन जज महोदय के पिता की तस्वीरें वायरल की जा रही हैं कि वे कांग्रेस के शासनकाल में विधानसभा के स्पीकर थे यानी इस फैसले और फटकार के पीछे यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि जज महोदय की पृष्ठभूमि कांग्रेस परिवार की है । यह एक प्रकार से कोर्ट के फैसले का विरोध करना ही है । क्या नुपूर शर्मा की ओर से की गयी घृणात्मक टिप्पणियों को छूट दी जा सकती है ? क्या यह देश सद्भावना और सहयोग व सभी धर्मों का आदर नहीं करेगा ? कहां जा रहे हैं हम ? किस ओर बढ़ते जा रहे है हमारे कदम और हमारी सोच ? बहुत सोचने विचारने की जरूरत है । हर किसी की बात को आईटी के सहयोग से दबाने की कोई जरूरत नहीं । आप आईटी सेल के सहयोग से राहुल गांधी को पप्पू बना गये और अखिलेश को टोंटीचोर । है न कमाल ? जब भी अखिलेश की बात आती है तब टोंटीचोर जरूर लिखा जाता है । क्या आईटी सेल और मीडिया पर नियंत्रण ही आपकी ताकत समझी जाये ? आखिर लोकतंत्र भी कोई चीज है कि नहीं ? क्या तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं हम ? सोचने की बात है ।
राम रहीम चाहे असली है चाहे नकली क्या उसके गुनाह कम हो गये ? क्या राम रहीम को इसी तरह पूरी दरियादिली से पैरोल मिलती रहेगी ताकि वोट बैंक बना रहे ?
कुछ न कुछ तो है जो भक्तों ने ही बाबा को नकली मान लिया ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।