दादा लखमी का प्रमोशन
पांच साल की रिसर्च के बाद बनाई दादा लखमी: यशपाल शर्मा
-कमलेश भारतीय
पांच साल की रिसर्च के बाद दादा लखमी फिल्म बनाई । लगभग छह साल लग गये इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने में । अब अपना सहकलाकारों के साथ इस फिल्म की प्रमोशन पर निकला हूं । जो यशपाल शर्मा हिसार की केनाल काॅलोनी में रामलीला करता था , आज वह अपनी ड्रीम फिल्म लेकर आया है । यह कहना है वाॅलीवुड में पांव जमा चुके एक्टर यशपाल शर्मा का जो आज सिटी माॅल में दादा लखमी के सहकलाकारों के साथ दादा लखमी के प्रमोशन के लिए अपने पैतृक शहर हिसार में थे ।
इन कलाकारों व सहयोगियों में रामपाल बल्हारा, घनश्याम दास शर्मा , राजेश शर्मा , सुदेशा बेनीवाल , पंकज , शौर्या , डाॅ सतीश कश्यप , कबीर , कुलदीप , मीना मलिक , डाॅ अल्पना सुहासिनी , आयुष , योगेश वत्स व डाॅ बेनिवाल आदि मौजूद थे ।
यशपाल शर्मा ने बताया कि इस फिल्म के साथ पर्दे या पर्दे के पीछे पांच हजार लोगों ने सहयोग दिया और इनमें अढ़ाई सौ कलाकार हैं जो सभी के सभी हरियाणा से हैं । तकनीकी पक्ष के लोग मुम्बई के हैं जिनमें संगीतकार उत्तम सिंह ने बहुत खूबसूरत संगीत दिया है तो माला डे ने कास्ट्यूम डिजाइनर के तौर पर काम किया है । राजू मान ने पटकथा और गीत लिखे हैं । मैंने इस पहले भाग में शुरू में रोल किया है , उससे बाद योगेश वत्स व हितेश ने दादा लखमी की भूमिकाएं निभाई हैं । स्टोग्बयस ने रसोइया का तो सतीश कश्यप ने विलेन का रोल निभाया है । अम्मा से मशहूर मेघना मलिक इसमें भी अम्मा के जानदार रोल में है तो राजेंद्र गुप्ता जैसे वरिष्ठ कलाकार संगीत गुरु की भूमिका में !
यशपाल ने अपने बड़े भाई घनश्याम शर्मा और मां विद्या देवी को प्रेरणास्रोत बताया । यशपाल ने कहा कि इस फिल्म के लिए प्रोड्यूसर मिले राजस्थान से राजावत ! जब फिल्म बनाने हरियाणा में आया तब मेरा मज़ाक उड़ाने वाले कम न थे जो कह रहे थे कि मुम्बई में दुकान बंद हो ली क्या ? मैंने क्वालिटी काम किया और जब आप क्वालिटी काम करते हो तो सफलता जरूर मिलती है । उन्होंने यह भी कहा कि चापलूसी से मैंने किसी को फिल्म में काम नहीं दिया , योग्यता के आधार पर ही काम दिया है । इसका दूसरा भाग भी शीघ्र बनायेंगे ! इस फिल्म के लिए मैंने बेशुमार फिल्में छोड़कर इसे ही निर्देशित करने में सारा ध्यान दिया । आज मैं इस फिल्म को हरियाणा में लाकर गर्वित महसूस कर रहा हूं ।
अब हरियाणवी फिल्मों का दौर आने वाला है । स्टेज एप के कामकाज की भी सराहना की ।
एक सवाल के जवाब में बताया कि एन एस डी में जाने के लिए प्रतियोगी भावना में कमी आई है । क्वालिटी काम करो , डिमांड अपनेआप बढ़ जायेगी । मेरा जुनून नहीं देखा , बस आलोचना की गयी । यह फिल्म साबित करेगी कि स्टार सिस्टम नहीं , कंटेंट जरूरी है और इसके हर पक्ष पर ध्यान दिया गया है ! फिल्म पैसे से नहीं , पैशन से बनाई जाती है । यह कहना था रामपाल बल्हारा का । इसी तरह सुपवा का उल्लेख भी किया गया । आज ही पारिजात चौक पर भी सीधे लोगों के बीच गये यशपाल शर्मा और उनके सहयोगी ! इस तरह आठ नवम्बर को रिलीज होने जा रही दादा लखमी के प्रमोशन में खूब खूब शहर दर शहर चल रहे हैं यशपाल शर्मा !