समाचार विश्लेषण/सरकारों को घेरने के दिन
-*कमलेश भारतीय
विधानसभा सत्र हो या फिर संसद सत्र हर सत्र में सरकारों को घेरने के दिन होते हैं । हंगामे के दिन होते हैं और माननीय सदस्यों को सदन से बाहर किये जाने के दिन होते हैं । विपक्ष के नये नये आरोप और सरकार के बचाव के दिन होते हैं । न विधानसभा अध्यक्ष और न ही लोकसभा अध्यक्ष की कोई बात सुनता है । सब अपने मन की करने की सोच कर सदन में आते हैं और मर्यादायें त्र तार होती हैं बल्कि शर्मसार भी होती हैं । कभी कभी तो ऐसे दृश्य भी देखने को मिलते हैं कि जो आम सभाओं में भी नहीं मिलते देखने को । बिहार में एक बार विधायकों के आपस में बुरी तरह पिटने और फ्रैक्चर होने तक के दृश्य देखने को मिले तो तमिलनाडु विधानसभा में अम्मा जयललिता की साड़ी का पल्लू तक खींचा गया और जयललिता ने कसम खाई कि अब मुख्यमंत्री बन कर ही सदन में लौटेंगी और ऐसा सच कर दिखाया । यही क्यों करूणानिधि को भी घर से ऐसे गिरफ्तार करवाये जैसे कोई बहुत बड़ा अपराधी हो । करूणानिधि चिल्लाते रहे लेकिन पुलिस ने एक न सुनी । संसद में कागज़ के जहाज बना कर भी उड़ाये गये ।
सदन की मर्यादा की चिंता अब न पक्ष को है और न ही विपक्ष को । कुछ राज्यसभा सांसदों का निलम्बन किया गया था पिछले सत्र में लेकिन नये सत्र में भी इनका निलम्बन समाप्त नहीं किया गया जिससे गतिरोध जारी है । एक बात यह भी दिल को लगती है कि कहीं सरकार इसी बहाने बाकी मुद्दों पर चर्चा से बच तो नहीं रही ? क्योंकि सारी ताकत इनका निलम्बन निरस्त करवाने पर लगी है और सरकार मस्त है कि कोई मुद्दा उठाने का अवसर नहीं मिल रहा विपक्ष को ।
अभी आज से हरियाणा सरकार का शीतकालीन सत्र शुरू होगा जो बाइस दिसम्बर तक चलेगा । इसमें मुख्य रुप से 'सूटकेस में बंद नौकरियों' पर सरकार को घेरने की विपक्ष की तैयारी है । करोड़ों रुपये लेकर नौकरियां देने का मुद्दा तूल पकड़ चुका है और विपक्ष पंचकूला में प्रदर्शन कर अपना विरोध जता चुका है । अब यही मुद्दा विधानसभा में उछलेगा । कांग्रेस विधायक जहां विधानसभा के अंदर इस मुद्दे को उठायेंगे वहीं बाहर इसके नेता प्रदर्शन करेंगे यानी डबल अटैक करने की योजना है । युवा वर्ग में इससे निराशा फैल सकती है जिस तरह से नौकरियां देने का मामले उजागर हो रहे हैं । इसके अतिरिक्त किसान आंदोलन पर भी चर्चा हो सकती है बेशक यह आंदोलन समाप्त हो गया हो लेकिन किसानों पर दर्ज मुकद्दमें विपस लेने की बात उठ सकती है । इसी प्रकार खाद के लिए लम्बी कतारें लगने और बढ़ती महंगाई भी मुद्दे बन सकते हैं । जो भी इस सर्दी में गर्मी का पूरा अहसास होने वाला है ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।