पुराने गिले शिकवों के दिन

पुराने गिले शिकवों के दिन

-*कमलेश भारतीय
ये चुनाव भी न। बस, क्या कहें, पुराने गिले शिकवे सुनाने का मौसम है । दिल में, होंठों पर अब तक दबा कर रखी बातें कहने के दिन हैं । होंठों पे ऐसी बात जो दबाते चले आये, अब कह डालने के दिन आ गये हैं । अब नहीं कहोगे तो फिर अगले पांच साल तक इंतज़ार करना पड़ेगा तो भाई दिल की कह लो एक बार । ऐसा सुनहरी मौका फिर कहां मिलेगा ? इसी बात का फायदा उठाते जीन्यूज़ के सर्वेसर्वा व मीडिया मुगल सुभाष चंद्रा ने हिसार से भाजपा के तीसरी बार प्रत्याशी डाॅ कमल गुप्ता को दिल की बात कहने में ज़रा देर नहीं लगाई । डाॅ कमल गुप्ता ने उन्हें सहयोग देने का फोन पर आग्रह किया तो सुभाष चंद्रा ने एकदम इंकार करते कहा कि बड़े भाई को पिछले पांच सालों में कभी होली, दीवाली पर याद नहीं किया, आज याद कैसे आ गयी? भाई, मैं आपका सहयोग नहीं करूंगा क्योंकि शहर के हालात बद से बदतर होते गये, इसलिए कोई सहयोग नहीं । इस तरह पिछले पांच साल के गिले शिकवे एक ही बार में निकाल लिये । डाॅ कमल गुप्ता को इस बार सावित्री जिंदल, गौतम सरदाना व तरूण जैन के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है । तरूण जैन तो भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गये हैं जबकि अपने समर्थकों से सलाह करने के बाद शायद गौतम सरदाना भी इसी राह पर चल निकलें । सावित्री जिंदल ने एक बार घोषणा तो कर रखी है चुनाव लड़ने की लेकिन अभी नामांकन नहीं किया । कौन दिशा में लेकर जायेंगीं सावित्री जिंदल अपने समर्थकों को ? 
हरियाणा में भाजपा के दिग्गज नेता प्रो रामबिलास शर्मा को भी भाजपा से गिले शिकवे हैं, अभी तक उनका टिकट घोषित नहीं किया । अपने समर्थकों के साथ वे गिला शिक़वा जाहिर कर चुके हैं । भाजपा है कि सुनने के मूड में नहीं । ये दिन पुराने बयानों व वीडियो या ऑडियो के बाहर आने, वायरल होने के दिन भी हैं। पिहोवा से भाजपा प्रत्याशी कवल जीत सिंह अजराना का टिकट कट गया, पुराने बयानों व फोटोज वायरल होने से । अजराना ने कहा कि भाजपा में विरोध था तो टिकट लौटा दिया । दूसरी ओर प्रदीप सांगवान को टिकट तो मिल गया लेकिन देहरादून के निकट सहस्त्रधारा के रिसोर्ट की कहानी फिर हवा में फैलने लगी है । 
भाजपा के ही गन्नौर से टिकट के दावेदार देवेंद्र कादयान ने टिकट न मिलने पर नाराजगी व्यक्त करते सोशल मीडिया में लिखा कि भाजपा ने मजदूरी बहुत करवाई लेकिन मजदूरी नहीं दी ! यह गिला तो न जाने कितने टिकटार्थियों को होगा और टीस देर रहा होगा । फिर भी भाजपा को आस है कि रूठे हैं तो मना लेंगे, पर कौन से खिलौने देकर ? कांग्रेस की सैलजा कह रही हैं कि टिकट एक को ही मिलेगी और मुख्यमंत्री भी एक ही बनेगा, यह टिकट की मारामारी भी रहेगी, यह राजनीति का हिस्सा है।  निदा फ़ाज़ली कहते हैं :
उसके दुश्मन हैं बहुत, आदमी अच्छा होगा 
वो भी मेरी तरह शहर में तन्हा होगा ! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।