डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ए.एस. मान ने दिया प्रिजर्व एंड कंजर्व टू सरवाइव का मंत्र

बायोलॉजिकल इनवेजन्स: कंसर्नस एण्ड सोल्यूशन्ज विषयक दो दिवसीय कार्यशाला शुरू।

डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ए.एस. मान ने दिया प्रिजर्व एंड कंजर्व टू सरवाइव का मंत्र

रोहतक, गिरीश सैनी। इकोलॉजिकल सस्टेनेबिलिटी समय की जरूरत है। हमें प्राकृतिक जैव-विविधता के संरक्षण के लिए सतत प्रयास करने होंगे। प्रिजर्व एंड कंजर्व टू सरवाइव का मंत्र देते हुए एमडीयू के शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता प्रो. ए.एस. मान ने बॉटनी विभाग द्वारा आयोजित भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रायोजित- बायोलॉजिकल इनवेजन्स: कंसर्नस एण्ड सोल्यूशन्ज विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया।

डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ए.एस. मान ने कहा कि विकास यदि मानव-विनाश का कारण बने तो वो विकास निरर्थक है। अत: संपोषणीय विकास को प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत पौधारोपण पर विशेष बल दिया।

इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एस.एस. दास ने भारत के हिमालयी क्षेत्र में विदेशी आक्रमक पादप प्रजातियों के प्रभाव बारे विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि ये विदेशी प्रजातियां न केवल जैव विविधता को खतरा है, बल्कि खाद्यन्न फसलों को भी प्रभावित कर रही है। इन विदेशी प्रजातियों के आक्रमण से फसलों की पैदावार भी घट रही है। उन्होंने पौधारोपण के दौरान देशज प्रजातियां रोपित करने पर जोर दिया।

कार्यशाला के दूसरे विशेष व्याख्यान में पंजाब विवि, चंडीगढ़ की प्रोफेसर डा. डेजी बातिश ने विदेशी पादप प्रजातियों के बढ़ते प्रभाव, उसके प्रभाव, उससे होने वाली हानि बारे विस्तारपूर्वक बताया। विदेशी आक्रमक पादप प्रजातियों के प्रबंधन बारे भी प्रो. डेजी ने इंगित किया।

कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वयन आयोजन सचिव प्रो. सुरेन्द्र सिंह यादव ने किया। उन्होंने कार्यशाला की थीम पर प्रकाश डाला। स्वागत भाषण बॉटनी विभागाध्यक्षा प्रो. अनीता रानी सहरावत ने दिया। जीव विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. राजेश धनखड़ तथा डीन आर एंड डी प्रो. हरीश दूरेजा ने भी उद्घाटन सत्र में संबोधन किया। आभार प्रदर्शन संयुक्त आयोजन सचिव प्रो. आशा शर्मा ने किया।

इस दौरान निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी, बॉटनी विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापिका प्रो. पुष्पा दहिया, प्राध्यापक डा. सुंदर सिंह आर्य, पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. जेएस लौरा समेत जीव विज्ञान संकाय के प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी, संबद्ध महाविद्यालयों के बॉटनी के प्राध्यापक व डेलीगेट्स मौजूद रहे।