रक्तदान को समर्पित : डाॅ युद्धवीर ख्यालिया
- कमलेश भारतीय
मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ, जिसे अपने और अपनी बेटियों के लिए बड़े बड़े अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े। कभी बड़ी बेटी रश्मि के लिए न केवल रोहतक बल्कि चंडीगढ़ के पीजीआई जाना पड़ा और लम्बा समय इन अस्पतालों में बिताना पड़ा तो कभी छोटी बेटी प्राची के लिए । ऐसे ही एक बार पीजीआई, चंडीगढ़ में बेटी रश्मि दाखिल थी । उन दिनों डाॅ युद्धवीर ख्यालिया हिसार के उपायुक्त थे। उन्हें कहीं से, किसी से पता चला कि मेरी बेटी रश्मि चंडीगढ़ के पीजीआई में बड़े ऑपरेशन के लिए भर्ती है। डाॅ युद्धवीर का फोन आया कि मुझे ऐसा मालूम हुआ है, यदि किसी भी स्टेज पर ऑपरेशन के समय ब्लड की जरूरत पड़ जाये तो कृपया मुझे एक फोन लगा देना, बस, आपको कहीं भागना नहीं पड़ेगा ।
मेरी बेटी का ऑपरेशन सफल रहा । हालांकि ब्लड का प्रबंध भी हो गया लेकिन डाॅ युद्धवीर ख्यालिया का वह मदद करने के लिए किया गया फोन आज तक नहीं भूल पाया कि क्या ऐसे अधिकारी भी होते हैं, जो बिना बताये आपकी तकलीफ को महसूस कर , मदद के लिए हाथ बढ़ा दें !
डाॅ युद्धवीर ख्यालिया ऐसे ही अधिकारी रहे हैं। सेवानिवृत्त के बाद हिसार में ही बहुत शांत सा जीवन गुजार रहे हैं और जब मैंने यह बात बताई तो कहने लगे कि आपने यह बात याद रखी, यह भी तो बड़ी बात है ।
- आपको रकतदान का आकर्षण कैसे हुआ?
- मैं सन् 1993 में महम की शूगर मिल में एमडी था, तब लातूर में भूकंप आया था और घायलों के लिए ब्लड की जरूरत आन पड़ी थी, तब पहली बार शूगर मिल में ब्लड डोनेशन कैंप लगाकर लातूर के घायलों के लिए ब्लड भेज कर जो शांति मिली थी, उसके बाद से इंडियन सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन से जुड़ गया, जिसका आज प्रेजीडेंट हूँ। इसकी ओर से पिछले वर्ष चौदह जून को ग्रीस में ब्लड डोनर्स डे पर मुख्य वक्ता के रूप में जाने का अवसर भी मिला !
मुझे डाॅ युद्धवीर ख्यालिया से पहली बार मिलने का अवसर बहुत गहमागहमी में मिला, जिन दिनों वे सिरसा के उपायुक्त थे और हिसार के महावीर स्टेडियम में एक बड़ा आयोजन था, जिसमें मीडिया रूम में इनसे मुलाकात हुई । मेरी आदत के अनुसार मेरे बैग में एक लघुकथा संग्रह पड़ा था, जो निकाल कर भेंट कर दिया ! समारोह खत्म हुआ और मैं ऑफिस लौट कर खबर बना रहा था, कि डाॅ युद्धवीर ख्यालिया का फोन आ गया - यार! ये तो अद्भुत रचनायें हैं ! मेरा हिसार से सिरसा तक का सफर बड़े मज़ेदार ढंग से निकल गया !
हमारी दूसरी मुलाकात हुई हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के इंदिरा गांधी सभागार में ! इनकी पत्नी डाॅ किरण ख्यालिया व उनकी बड़ी बहन की 'बन्नड़े के गीत'ऑडियो कैसेट की रिलीज पर ! हरियाणवी गीत संगीत के लिए इतना बड़ा आयोजन डाॅ युद्धवीर ख्यालिया ही कर सकते थे !
हालांकि, एक भूल डाॅ युद्धवीर ख्यालिया कर गये और मुझे यह प्यार भरा आग्रह कर रहे हैं कि उस बात पर क्रास लगा दूं ! लीजिए लगा दिया पर इतना तो बता दूँ कि डाॅ युद्धवीर ख्यालिया राजनीति के लिए नहीं बने थे और उस फैसले को बहुत बड़ी भूल मानते हुए कभी उसे याद भी नहीं करना चाहते ! सच ही तो है, समाजसेवा बहुत बड़ा काम है और जिसे आप कर रहे हो और आपने सिरसा का नाम देशविदेश में ब्लड डोनेशन में टाॅप पर ला दिया, जिसके गांवों में सबसे ज्यादा रक्तदान करने का कीर्तिमान दर्ज कर दिया है ! सच, इसके आगे सारा सौदा फीका !
अभी जब बात खत्म की तब डाॅ युद्धवीर ख्यालिया साइकिल निकाल कर निकल पड़े ....