पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के उर्दू विभाग ने मुशायरा का आयोजन किया: रेत जैसा मेरे हाथों से फिसलता क्या है
पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के उर्दू विभाग द्वारा पंजाब उर्दू अकादमी मालिरकोटला (पंजाब सरकार) के सहयोग से एक मुशायरे का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता डॉ. सुल्तान अंजुम ने की। कवियों में शम्स तबरीज़ी, प्रो नवीन, डॉ सुल्तान अंजुम, विजय अख्तर, डॉ संगीता, सुश्री ममता और जयपाल सिंह ने भाग लिया.
चंडीगढ़, 17 जनवरी, 2024: पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के उर्दू विभाग द्वारा पंजाब उर्दू अकादमी मालिरकोटला (पंजाब सरकार) के सहयोग से एक मुशायरे का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता डॉ. सुल्तान अंजुम ने की। कवियों में शम्स तबरीज़ी, प्रो नवीन, डॉ सुल्तान अंजुम, विजय अख्तर, डॉ संगीता, सुश्री ममता और जयपाल सिंह ने भाग लिया.
मुशायरे की शुरुआत में मशहूर शायर "मुनव्वर राना" को श्रद्धांजलि देकर उनके निधन पर दुख व्यक्त किया गया.
विभाग के अध्यक्ष डॉ. अली अब्बास ने अतिथियों का स्वागत करते हुए मुशायरे के महत्व एवं उपयोगिता पर चर्चा की तथा उर्दू में मुशायरे के इतिहास पर प्रकाश डाला।साथ ही उनमें रचनात्मकता भी पैदा होती है। उन्होंने आगे कहा कि इसके माध्यम से वे कविता पढ़ने के प्रति भी जागरूक होते हैं और उन्हें वर्तमान समय की कविता और साहित्यिक कृतियों की दिशा और गति से परिचित कराना भी उद्देश्य है. मुशायरे में शायरों ने अपने कलाम इस प्रकार पेश किये:
सुकून ए दिल ले गई जो आंधी
उसे फ़क़त धूल कह रहे हैं
कहीं भी जाए अमान नहीं है
इसी को वह रूल कह रहे हैं ( सुल्तान अंजुम )
तुम्हारी बात का मैंने जवाब दे तो दिया
किताब में जो रखा था गुलाब दे तो दिया (शम्स तबरेजी)
तेरे यहाँ पर नुक्ता है मेरे यहाँ पर बिंदी है
जितनी शीरीन उर्दू है उतनी मीठी हिन्दी है (नवीन गुप्ता)
ज़िंदगी आ कभी गुफ़्तार में इतना तो बता
रेत जैसा मेरे हाथों से फिसलता क्या है (विजय अख्तर)
औरत की इज्जत की खातिर मोमबत्तियाँ कब तलक
हम तो वह थे जो कभी लंका जला देते थे यार (जे. पी. सिंह )
मालूम हो कि इस मुशायरे में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे. मुशायरे के अंत में प्रोफेसर रेहाना परवीन ने अपने शब्दों से छात्रों का हौसला बढ़ाया. उत्साह दोगुना कर दिया.
डॉ. जुल्फिकार अली ने मुशायरे का संचालन करते हुए बेहतरीन मुशायरे की शोभा बढ़ाई।