नई चुनौतियों के बावजूद प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता व तथ्यपरकता अधिक हैः परवीन के. मोदी

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में संवाद कार्यक्रम आयोजित।

नई चुनौतियों के बावजूद प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता व तथ्यपरकता अधिक हैः परवीन के. मोदी

रोहतक, गिरीश सैनी। डिजिटल मीडिया के टूल्स सीखना समय की जरूरत है। मीडिया विद्यार्थियों को टेक्नोलॉजी के साथ जुड़ना होगा। विशेष रूप से कंटेंट क्रिएशन में टेक्नोलॉजिकल टूल्स के महत्व को रेखांकित करते हुए मीडिया विशेषज्ञ चौ. देवी लाल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डा. अमित सांगवान ने ये परामर्श एमडीयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों को दिया।

एमडीयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में आयोजित संवाद कार्यक्रम में डा. अमित सांगवान तथा प्रतिष्ठित पत्रकार, मीडिया विशेषज्ञ परवीन के. मोदी ने विद्यार्थियों को संबोधित किया।

डा. अमित सांगवान ने कहा कि आज के दौर में कंटेंट इज किंग। विद्यार्थियों को क्रिएटिव कंटेंट तैयार करने के लिए खुद को तैयार करना होगा। डा. सांगवान ने विद्यार्थियों को सोशल मीडिया एडिक्शन से बचने की नसीहत दी।

प्रतिष्ठित मीडिया विशेषज्ञ, पूर्व संपादक परवीन के. मोदी ने कहा कि प्रिंट मीडिया का अस्तित्व हमेशा बना रहेगा। डिजीटल मीडिया के दौर में प्रिंट मीडिया के समक्ष नई चुनौतियां सामने आई हैं। परंतु प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता तथा सत्यता व तथ्यपरकता अधिक है। मीडिया क्षेत्र में खबरों के लिए सत्य तथा तथ्यों की जांच अवश्य करने की सलाह उन्होंने दी। परवीन मोदी ने खबरों की तह तक जाने तथा सूचना की परतों के नीचे से खबर निकालने पर कार्य करने का संदेश विद्यार्थियों को दिया। खबरों के परिदृश्य में आमजन के हित का ध्यान रखने की बात परवीन मोदी ने कही। 

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश कुमार ने आमंत्रित वक्ताओं का स्वागत किया। प्रो. हरीश कुमार ने कहा कि मोबाइल फोन ने पत्रकारिता की दुनिया को बदल दिया है। विद्यार्थियों को प्रिंट के साथ-साथ डिजीटल मीडिया, कनवर्जेंट मीडिया की दुनिया से कदमताल करना होगा। 

कार्यक्रम समन्वयन-संचालन सहायक प्रोफेसर सुनित मुखर्जी ने किया। सुनित मुखर्जी ने कहा कि प्रिंट तथा डिजीटल मीडिया में सफलता के लिए मीडिया लेखन कौशल पर विद्यार्थी विशेष ध्यान दें। आभार प्रदर्शन शोधार्थी प्रिया ने किया।
मीडिया विशेषज्ञ परवीन के मोदी ने विशेष इंटरैक्टिव सत्र के तहत विभाग के शोधार्थियों से संवाद किया। उन्होंने शोध कार्य में अध्ययनशीलता के महत्व तथा शोध को समाजोपयोगी बनाने का सुझाव दिया। शोध कार्य में सत्यता तथा सत्यनिष्ठा के महत्व को भी उन्होंने रेखांकित किया। इस दौरान विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश कुमार मौजूद रहे। विभागीय संवाद कार्यक्रम में शोधार्थी-विद्यार्थी शामिल हुए।