समाचार विश्लेषण/संवाद खत्म और चक्का जाम
हे राम क्या होगा अंजाम ?
-कमलेश भारतीय
क्या यही सच है ? सरकार और किसान नेताओं के बीच बात डेडलाॅक और किसान छह को करने जा रहे हैं चक्का जाम । हे राम, क्या होगा अंजाम ? देश ही नहीं विदेश में भी भारत की छवि दिन-प्रतिदिन धूमिल होती जा रही है और सरकार हर नये दिन के साथ निर्मम और निष्ठुर होती जा रही है । किसान नेता शांति बनाये रखने की अपील कर रहे हैं तो सरकार बयानबाज़ी करने वालों पर केस दर्ज कर रही है । कैसा व्यवहार और इतनी संवेदनहीनता । ऐसे कैसे और कब तक चलेगा साहब ? चाहे सुप्रीम कोर्ट हो चाहे अमेरिकी विदेश मंत्रालय सब किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को सही कह रहे हैं । फिर किसलिए पंद्रह विपक्षी सांसदों को मिलने से रोका किसानों से साहब ? क्या परेशानी या दिक्कत या शक ? विपक्ष को अपना काम करने दीजिए न । विपक्ष भी जरूरी है, इसमें क्या मजबूरी है आपकी ? मन की बात कीजिए और दूसरों को भी मन की बात करने दीजिए न । मीडिया को कहां तक दबाते चले जायेंगे साहब? कुछ तो छोड़ दीजिए किसानों के लिए । हालांकि खुद किसानों ने ही गोदी मीडिया का बहिष्कार शुरू कर दिया है । बल्कि बाहर निकाल देते हैं गोदी मीडिया के रिपोर्टर्ज को । किसान आंदोलन का अपना मीडिया बहुत तेज़ है और उन्हें किसी तेज़ चैनल की जरूरत नहीं रही, साहब । दीप सिद्धू की खोज करवाइये । सब साफ सो जायेगा ।
प्रियंका गांधी जो रामपुर के एक मृत किसान के परिवार को सांत्वना देने जा रही थी कि उनके काफिले की गाड़ियां क्या भिडीं कि खुद गाड़ी का शीशा साफ करने लगीं । यह होना चाहिए नये नेता का चेहरा । यह संदेश । हरियाणा के कंडेला से लगभग उन्नीस साल बाद उठी और यह फिर किसान आंदोलन के केंद्र में आया । वैसे भी जींद हरियाणा का मध्य स्थान है और कहा जाये तो दिल है यह हरियाणा का । यहां जो भी अभियान होता है, महाभियान यानी महाभारत ही होता है । हर नेता कभी न कभी जींद की धरती पर आता है और अब आए राकेश टिकैत जो किसान आंदोलन का चेहरा बन गये हैं । टिकैत ने नारा दोहराया है :
जब तक कानून वापसी नहीं
तब तक घर वापसी नहीं ,;;,,
बड़ी बात यह कि अब सचमुच जनता ही कहने लगी कि चोर है । पहले सिर्फ राहुल गांधी कहते थे तब उन पर केस दर्ज करवा दिये गये लेकिन अब तो जनता ही कहने लगी । अब किस किस पर केस दर्ज करोगे साहब ?
इधर ममता बनर्जी ने बददुआ दी है कि जो जो नेता तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर गये हैं सबको हार का सामना करना पड़ेगा । फिर अमित शाह जी के दावे का क्या होगा दीदी ?