समाचार विश्लेषण/अलग अलग रणनीति कांग्रेस की 

समाचार विश्लेषण/अलग अलग रणनीति कांग्रेस की 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
यह जो कांग्रेस है बड़ी कमाल की पार्टी है । सबसे पुरानी और एक सौ पैंतीस साल पुरानी है । स्वतंत्रता आंदोलन में इसी का बोलबाला था और स्वतंत्रता के बाद भी । लगभग सत्तर साल तक । इसीलिए विरोधी पूछते रहते हैं कि सत्तर साल में क्या किया और क्या दिया देश को ? अब यह अलग बहस का विषय है । क्या दिया और क्या नहीं दिया ? आज तो यह मुद्दा है कि पांच राज्यों में करारी हार के बाद भी यह जो कांग्रेस है न , अलग अलग विचार मंथन कर रही है । मुख्य कांग्रेस की हाईकमान सोनिया गांधी ने जो विचार मंथन किया , उसके बाद सभी पांच राज्यों के प्रदेशाध्यक्षों से हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे मांग लिये जबकि जी 23 समूह ने अलग बैठक में सोनिया गांधी और उनके परिवार से ही एक प्रकार से इस्तीफे मांग लिये । यह जो है न कांग्रेस , बस , इसे ही कांग्रेस कहते हैं । न इसे जीत से कोई फर्क और न हार का गम । ये कांग्रेसी आपस में ही नूरा कुश्ती करते रहते हैं -ऊपर से लेकर नीचे तक । हर राज्य में । अभी छत्तीसगढ़ और गुजरात के चुनाव आने वाले हैं , विपक्ष तैयारियों में जुट गया है और कांग्रेस गुटबाजी में फंसती और डूबती जा रही है । हालांकि सोनिया गांधी ने ऑफर क्या कि यदि हमारे इस्तीफे चाहिए तो हम देने को तैयार हैं लेकिन ये जो कांग्रेस है गांधी नेहरू के नाम से अलग होने को तैयार ही नहीं । इसीलिए मल्लिकार्जुन खड़से कह रहे हैं कि जी 23 समूह कांग्रेस को कमजोर करने का कोई अवसर नहीं छोड़ता बल्कि अब तो राजेंद्र कौर भट्ठल तक इसमें शामिल हो गयी हैं । 

कांग्रेस को गुटबाजी , आपसी वैर विरोध और विचारधारा से दूर होने से लगातार नुकसान पहुंच रहा है । विरोधी कम , खुद कांग्रेसी ही कांग्रेस की खत्म करने में पूरा जोर लगाये हुए हैं । एक पस्त और हारा हुआ परिवार आपस में ही लड़ाई लड़ रहा है । महाभारत जैसा हाल हो रहा है । इसे किसी विरोधी की जरूरत ही कहां रह गयी ? सब एक दूसरे की टांग खींचने में लगे हैं , नीचा दिखाने में लगे हैं और हाईकमान कानून की देवी की तरह आखों पर काली पट्टी से अपनी आंखें बंद किये बैठी है । भला , आज तक परनीत कौर कांग्रेस में क्यों ? जिसके पतिदेव कैप्टन अमरेंद्र सिंह इस्तीफा दे कर अलग पार्टी बना कर चुनाव लड़कर कांग्रेस को हराने का काम कर चुके , उनकी पत्नी से क्या उम्मीद लगाये हुए है हाईकमान ? तुरंत निकालने की हिम्मत क्यों नहीं हो रही ? गुलाम नबी आजाद जैसी गोटिया चल रहे हैं , हाईकमान के पास उसका कोई जवाब क्यों नहीं ? नवजोत सिद्धू पर भरोसा रख कर पंजाब गंवा लिया और चन्नी के भईयों वाले बयान से कितना नुकसान हुआ और कार्यवाही करने वाली प्रियंका गांधी वहां मौजूद रही और कुछ न बोली ? अब नुकसान का आकलन ही कर लो । अब तो कोई कार्यवाही कर लो । हरीश रावत कह रहे हैं कि यदि मैं इतना ही खराब हूं तो मुझे किसी खड्ड में दबा दीजिए । यह गुटबाजी उत्तराखंड में भी थमी नहीं । भाजपा सरकार बनाने में जुटी है तो कांग्रेस आपस में लड़ाई करने में मस्त है । अभी गुजरात व छत्तीसगढ़ की बात कौन करे ? उत्तर प्रदेश में सिर्फ दो सीटें आने और हार की जिम्मेदारी लेने प्रियंका आगे क्यों नहीं आती ? सारा मोर्चा संभाल रखा था और न कोई नारा काम आया , न ही रोड शो । कहां गया कांग्रेस का करिश्मा ? 

सोनिया गांधी कह रही हैं कि चुनाव में सोशल मीडिया का दखल लोकतंत्र के लिए खतरा है । कैसा खतरा ? आपकी आईटी टीम बुरी तरह फेल तो दूसरों पर दोष क्यों ? सोशल मीडिया पर आइए आप भी । किसने रोका है ? 

दूसरों पर दोष देने का समय नहीं , कांग्रेस को खुद को संभालना और बदलना है । समय रहते यह बदलाव लाना होगा नहीं तो छत्तीसगढ़ भी हाथ से निकल जायेगा ।

फिर यही कहोगे :
नक्शा उठा के कोई नया राज्य ढूंढिये 
सभी राज्यों में तो हार हो चुकी ।

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।