मनोज कुमार प्रीत की नव प्रकाशित कथा संग्रह "मैं राम नहीं हो सकता" पर चर्चा आयोजित
पुस्तक की कहानियां आधुनिक जीवन में रिश्तों के विघटन पर आधारित
लुधियाना: प्रीत साहित्य सदन द्वारा आयोजित मासिक सभा में इस बार मनोज कुमार प्रीत की नव प्रकाशित कथा संग्रह मैं राम नहीं हो सकता पर चर्चा का आयोजन किया गया जिस पर प्रपत्र पढ़ते हुए डॉ अनु शर्मा ने कहा कि पुस्तक की कहानियां आधुनिक जीवन में रिश्तों के विघटन पर आधारित हैं जिसमें स्त्री पुरुष पति पत्नी व प्रेम के अन्य संबंधों पर लेखक ने बहुत बारीकी से विश्लेषण किया है। यह पुस्तक हमारे समाज परिवार और संबंधों को एक नयापन प्रदान करती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेश हंस ने की। मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय विद्यालय के उप प्रधानाचार्य फूलचंद विश्वकर्मा उपस्थित हुए। इन्होंने भी पुस्तक की कहानियों पर टीका टिप्पणी की। लेखक को कुछ मूल्यवान सुझाव भी दिए।
कार्यक्रम का दूसरा चरण काव्य गोष्ठी रहा जिसमें लगभग 15 कवि व लेखिकाओं ने हिस्सा लिया। संजीव डाबर ने अपनी कविता द्वारा सभी को मंत्रमुग्ध किया। इनके अलावा हिंदी व पंजाबी में पम्मी हबीब, रविंद्र अग्रवाल, पूनम बाला, समीक्षा जैन, रमा शर्मा, गणेश महेश्वरी, तेजेंद्र बरनाला, सतवंत कॉलकट व अन्य कवियों ने अपनी कविताओं से सबको मंत्रमुग्ध किया।
मंच संचालन अपने खूबसूरत अंदाज में ममता जैन द्वारा प्रस्तुत किया गया।
अंत में रमा शर्मा द्वारा उपस्थित सभी साहित्यकारों को उपस्थित होने पर धन्यवाद दिया गया।