समाचार विश्लेषण/अध्यक्ष पद के लिए भी रार
-*कमलेश भारतीय
यह मैं नहीं कह रहा । यह कह रहे हैं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ कह रहे हैं । कांग्रेस की हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष की लड़ाई को लेकर । लगभग एक माह से यह लड़ाई बहुत तेज हो चुकी है । कह सकते हैं कि हरियाणा की गलियों तक इसकी चर्चा बच्चे बच्चे की जुबान पर आ चुकी है । हर रोज लगता है कि नया प्रदेशाध्यक्ष घोषित होने ही वाला है लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात रह जाती है स्थिति । किसी दिन कोई अध्यक्ष बन जाता है , किसी दिन कोई दूसरा । समर्थक भी लड्डू बांटने लगते हैं और सोशल मीडिया भी सक्रिय हो जाता है लेकिन पता चलता है कि अभी अध्यक्ष बनने बनाने में सोच विचार चल रहा है । अभी नाम सुझाये जा रहे हैं । अभी जाट या गैर जाट की राजनीति के नफा नुकसान बताये जा रहे हैं । अरे , धरातल पर तो देखिए । कोई नहीं देखने को तैयार । सब अपने अपने फाॅर्मूले लेकर हाईकमान सोनिया गांधी को बताये जा रहे हैं । कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की बातें आ रही हैं । कितने बनायेंगे ? किस किस को बनायेंगे ? सब भविष्य में है । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी कह रहे हैं कि कांग्रेस तो अब भाई बहन की पार्टी मात्र रह गयी है । यह भी काफी सच है । भाई बहन ने पंजाब का क्या हाल कर दिया ? अच्छी भली चलती सरकार को गिरा कर आप की झोली में डाल दी । ऐसे फैसले लिए कि सेल्फ गोल ही कर लिया । किसी विरोधी को कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी । अपने हाथों ही बंटाधार कर लिया ।
अब हरियाणा की बारी है । जब तक जमीन से जुड़े नेता को कमान नहीं सौंपेंगे तब तक हालात सुधरने की उम्मीद नहीं कर सकते लेकिन यह कांग्रेस है इसे कुछ दिखाई या सुनाई नहीं देती । यह भी इंसाफ की देवी की तरह आंखों पर पट्टी बांधे रखती है और ऐसे फैसले करती है जिससे कांग्रेस को कोई फायदा नहीं मिलने वाला होता । अब किसका कसूर है यह ? कौन जिम्मेवार है कांग्रेस की हालत का ? अपने तो अपने पराये भी आलोचना कर रहे हैं और हाईकमान की सोच विचार जारी है , मंथन जारी है ।
देर न हो जाये
कहीं देर न हो जाये ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।