समाचार विश्लेषण/किसान आंदोलन पर तक़रार
-*कमलेश भारतीय
किसान आंदोलन पर अब तक केंद्र तो मूकदर्शक बना हुआ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक फोन काॅल की दूरी तय नहीं हो पा रही या तय करने की कोई मंशा दिखाई नहीं देती । कभी सड़कों के बीच कीलें गाड़ कर तो कभी आसपास के ग्रामीणों से राह खुलवाने की कोर्ट में शिकायतें करवाने के बावजूद किसान आंदोलन बदस्तूर जारी है और केंद्र तमाशा देख रहा है । ऐसे में लाठीचार्ज कर , केस बना कर और अन्य तरीकों से आंदोलनकारी किसानों को परेशान करने का जिम्मा हमारी हरियाणा सरकार और इसके मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने उठा लिया लगता है । सिरसा हो या हो हिसार या फिर टोहाना, कुरुक्षेत्र और करनाल सब जगह किसानों पर लाठीचार्ज कर लहू-लुहान किया जा रहा है । ऊपर से एसडीएम के आदेश कि जो प्रदर्शन करने आए उसका फिर फोड़ दो और लो पुलिस ने फोड़ भी दिये । कर दिये रक्तरंजित किसान । अब हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर कह रहे हैं कि किसान आंदोलन के पीछे पंजाब सरकार यानी कैप्टन अमरेंद्र सिंह हैं । यह आरोप उन्होंने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक रूबरू कार्यक्रम में खुलेआम लगाया है । ज्यादातर सवाल किसान आंदोलन पर ही केंद्रित रहे और सारा दोष पंजाब सरकार या कांग्रेस पर डाल कर भाजपा को निर्दोष साबित करने की कोशिश की ।
दूसरी ओर कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने भी जवाब दिया कि किसानों के आक्रोश की जिम्मेदार भाजपा है , कांग्रेस नहीं । अपना दोष दूसरों पर न डालिये । कैप्टन ने यह भी कहा कि खट्टर जी , आप कृषि कानून रद्द करवा दो तो फिर मैं भी आपको लड्डू खिलाऊंगा । यह भी कहा कि किसानों पर हमले ने भाजपा के एजेंडे का पर्दाफाश कर दिया है ।
इधर जजपा में भी कुछ असंतोष बढ़ता जा रहा है किसान आंदोलन के चलते । जजपा का वोट बैंक खिसक रहा है और युवाओं में इसका क्रेज़ कम होता जा रहा है । यह बात उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी दिल ही दिल में महसूस करने लगे हैं और इसीलिए बयान दे रहे हैं कि करनाल के एसडीएम पर कार्यवाही होगी जबकि मुख्यमंत्री खट्टर ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिये । यदि करनाल के एसडीएम पर कोई कार्यवाही दुष्यंत न करवा पाये तो उनके बयानों की कोई परवाह नहीं करेगा । बेशक बारबार दुष्यंत कह रहे हैं कि किसान बातचीत के लिए तैयार हो जायें तो मैं मध्यस्थता करूंगा लेकिन न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी । यदि दुष्यंत ने इस स्थिति की ओर ध्यान न दिया तो गांवों में जनता के रोष का सामना करना मुश्किल हो जायेगा । जजपा के पैर के नीचे से धरती कब खिसक जायेगी यह पता भी नहीं चलेगा । सिरसा में दुष्यंत के आवास के बाहर आमतौर पर धरना प्रदर्शन रहता है और वे जनता से चंडीगढ़ या दिल्ली अपने आवासों पर मिल पाते हैं । यह कोई सुखद स्थिति नहीं । धीरे धीरे जनता से कटने के संकेत माने जा सकते हैं ।
हरियाणा के मुख्यमंत्री हों या उप-मुख्यमंत्री दोनों को सोचने की , मंथन करने की जरूरत है । दिल्ली को शांत करने और प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए किसान आंदोलन को जानबूझ कर हरियाणा शिफ्ट किया जा रहा है लगातार और इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी