दीवाली, पराली और प्रदूषण
-*कमलेश भारतीय
दीवाली आ रही है और पटाखों का प्रदूषण भी आने के खतरे हर साल की तरह आ रहे हैं और सारी की सारी अपील धरी की धरी रह जाती हैं हर साल । यहां तक कि दीवाली की रात दस बजे तक ही पटाखे चलेंगे, ये आदेश भी कोई नहीं मानता और न ही कोई लागू करवाता । बस, एक रूटीन में आदेश जारी कर सभी अधिकारी इसे भूल जाते हैं । इसी में भलाई है । किस, किसके खिलाफ कार्रवाई करोगे ? ये तो खुद मानने की बात है प्रशासन के बस की नहीं । दीवाली पर पटाखे न चलाने की अपील करने वाले बिग बी अमिताभ बच्चन ही एक बार पटाखे चलाते हाथ जला बैठे तो अपील का असर क्या होना था ? जैसे सूखी होली मनाने की अपील भी धरी की धरी रह जाती है और लोग हैं कि पानी की बौछारें मारते हैं घरों के अंदर से आने जाने वालो पर ।
खैर, दीवाली तो जब आयेगी, तब आयेगी, उससे पहले तो पराली से ही काफी प्रदूषण फैल कर आकाश में धुआं धुआं सा होने लगा है । प्रशासन यहां भी खूब चेतावनियां दे रहा है लेकिन दिल है कि मानता नहीं, किसान हैं कि मानते नहीं । खेतों में पराली जलाने पर कुछ चालान भी कटने के समाचार आ रहे हैं लेकिन उतनी ही तेज़ी से पराली भी जलती दिख रही है खेतों में । हम नहीं मानेंगे, हम नहीं सुधरेंगे, कसम से । कितने भी कर लो जतन, कितने भी काट लो चालान । हम पराली जलाते रहेंगे । प्रदूषण से वैसे ही मानव जीवन खतरे में है । सोनम वांगचुक अभी दिल्ली में पंद्रह दिन तक शुद्ध पानी और शुद्ध हवा के लिए अनशन कर पहाड़ पर लौटे हैं । दिल्ली में प्रदूषण सबसे ज्यादा है जो देश की राजधानी है और यहीं से प्रदूषण जैसे सारे देश को खतरे के प्रति सावधान करता है लेकिन हम हैं कि अनसुना किये जा रहे हैं । इसीलिए एक दिन साइकिल चलाने जैसे अभियान और आह्वान भी सामने आते हैं लेकिन अब इससे आगे कुछ सोचना होगा ! शायर फहमी कह गये हैं :
वो सिगरेट छोड़ने को कब कहेगा
मैं सिगरेट छोड़ देना चाहता हूं।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।