`दिया जला अब'- अश्विनी जेतली की कलम से
लेखक अश्विनी जेतली पेशे से पत्रकार हैं
ताली-थाली खूब बजा ली, दिया जला अब।
रब्ब से रहमत की है दुआ ली, दिया जला अब।
डरता हर कोई, इक-दूजे को छूने से भी,
अपनों ने दूरी है बना ली, दिया जला अब।
कोरोना के गर कहर से बचना, घर में रह तू,
ख़तरा बहुत, गो सड़कें खाली, दिया जला अब।
लॉकडाउन में लगी ब्रेक तो जाना सब ने,
साईंस की गाड़ी बहुत भगा ली, दिया जला अब।
वबा ये शीघ्र मर जानी है, चिंता मत कर,
बादे सबा वो देख है आ ली, दिया जला अब।
अन्धविश्वास नहीं, ये सब हैं परखीं बातें,
हथेली पर सरसों है जमा ली, दिया जला अब।