93वें दिन भी डीएलसी सुपवा के प्राध्यापकों का प्रदर्शन जारी

यूजीसी वेतनमान, सातवें सीपीसी और पदोन्नति की मांग को लेकर डीएलसी सुपवा के प्राध्यापकों ने 93वें दिन बुधवार को भी विमर्श प्रदर्शन जारी रखा। शिक्षकों ने रोष जताया कि इतने लंबे समय से शिक्षकों के मुद्दों का निवारण नहीं किया जा रहा।

93वें दिन भी डीएलसी सुपवा के प्राध्यापकों का प्रदर्शन जारी

रोहतक, गिरीश सैनी। यूजीसी वेतनमान, सातवें सीपीसी और पदोन्नति की मांग को लेकर डीएलसी सुपवा के प्राध्यापकों ने 93वें दिन बुधवार को भी विमर्श प्रदर्शन जारी रखा। शिक्षकों ने रोष जताया कि इतने लंबे समय से शिक्षकों के मुद्दों का निवारण नहीं किया जा रहा।

शिक्षक संघ के प्रधान इंद्रनील घोष ने कहा कि अगर नियमों से कार्रवाई हुई होती तो अब तक शिक्षकों को यूजीसी वेतनमान मिल गया होता। लेकिन विवि प्रशासन मनमर्जी की कार्यप्रणाली अपना रहा है। विभागाध्यक्षों की अनुशंसा के बिना नए कोर्स शुरू नहीं किए जाते। प्राध्यापकों और विभागाध्यक्षों को पता भी नहीं है कि उनके विभागों में नए कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। गैर विशेषज्ञ एवं अनुचित भर्तियों में 65 वर्ष से ऊपर आयु के व्यक्तियों को बार-बार एक्सटेंशन दी जा रही है, जो कला विषयों पर कोई विशेषज्ञ भी नहीं है। भर्तियों में यूजीसी की न्यूनतम योग्यता की भी अवहेलना हो रही है।

विवि प्रशासन के बयान का खंडन करते हुए शिक्षक संघ ने कहा कि  2011 में अस्तित्व में आए संस्थान की चल- अचल संपत्ति तो मर्ज हो गई, लेकिन विश्वविद्यालय में उच्चतम शिक्षा से योग्यता प्राप्त प्राध्यापकों को मर्ज नहीं किया गया। अगर ऐसा है तो यह ना सिर्फ शिक्षकों के साथ धोखा है, बल्कि विश्वविद्यालय एक्ट का भी उल्लंघन है।

शिक्षकों ने कुलाधिपति से गुहार लगाई कि इस मामले में संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई की जाए। ताकि शिक्षकों के भविष्य से हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सके।