हमारी सांस्कृतिक धरोहर की झलक दिखाता डीएन काॅलेज का संग्रहालय

हमारी सांस्कृतिक धरोहर की झलक दिखाता डीएन काॅलेज का संग्रहालय

-कमलेश भारतीय
हिसार: डीएन काॅलेज अक्सर आना जाना होता है, उत्साही प्रिंसिपल डाॅ विक्रमजीत सिंह के प्रेम के कारण ! उनके कार्यालय या हद पुस्तकालय तक जाकर लौटता रहा लेकिन इतनी भनक पड़ती रही कानों में कि कोई सांस्कृतिक संग्रहालय है, जो इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो महेंद्र विवेक बरसों से संवारते आ रहे हैं । आज हरियाणा में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों को संजोने में उनका नाम है । इतिहास के मर्मज्ञ व इतिहास में रमे रहने वाले प्रो महेंद्र विवेक ने इसीलिए इस संग्रहालय में ये पंक्तियां विशेष तौर पर लिखवाई हैं :
फुर्सत हो तो सुनो, पत्थर बोलते हैं
उजड़ी हुई बस्तियों से आवाज़ें आती हैं ! 

सच, जिन पलों में हम इस संग्रहालय की अमूल्य धरोहरों को देख रहे होते हैं तो कभी हड़प्पाकालीन तो कभी मुगलकालीन तो कभी स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज़ें सुनाई देती हैं । कभी कुयें से खिलखिलाती आवाज़ें तो कभी खेलते हुए बच्चे सब सुनाई देते हैं । कभी कहीं पुराना ट्रांजिस्टर बज उठता है तो कहीं चरखे की गूंज सुनाई देती है तो कहीं पुराना टाइपराइटर खटखट करने लगता है । पुराने सिक्के खनखनाने लगते हैं तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के समय के आज़ाद हिंद फौज के मेडल भी चमकने लगते हैं । गांवों से एकत्रित पुरानी उपयोग की वस्तुएं हैं, बाल्टी, चूल्हा, चिमटा और न जाने क्या क्या । वनावाली, राखीगढ़ी आदि से मिलीं पुरानी चूड़ियां, खिलौने, बर्तन आदि सब यहां सहेजे हुए हैं। हरियाणा सांस्कृतिक रूप से कितना समृद्ध है, इसके प्रमाण भी मिलते हैं। 
प्रो महेंद्र विवेक पिछले 28 साल से ये दुर्लभ अनमोल अवशेष इकट्ठे करते आ रहे हैं और डीएन काॅलेज ने भी इन्हें संग्रहालय बनाने के लिए स्थान उपलब्ध करवाया लेकिन अब यह स्थान छोटा पड़ने लगा है । ऊपर संग्रहालय है तो नीचे स्वतंत्रता सेनानियों की यादें। स्वतंत्रता का इतिहास । कितना कुछ है यहां सीखने को, समझने को, विचार करने को ।
सच में ध्यान से सुनो :
उजड़ी हुई बस्तियों से आवाज़ें आती हैं !