गर्मी वाले प्रदेशों में दिमाग का पारा हाई रहता है?
किसी कार्यक्रम के सिलसिले में एक होटल में जाना हुआ, लेकिन गर्मी के कारण मेहमानों के पहुंचने में विलंब हो रहा था। वहां मौजूद एक अधिकारी से गर्मी पर चर्चा होने लगी तो वह बोले, आपको पता है गर्म प्रदेशों में अपराध ज्यादा क्यों होते हैं। मैंने पूछा, क्यों? तो उनका कहना था कि गर्मी के कारण लोग तमतमाए रहते हैं, उनका पारा हाई रहता है, और वे जरा सी बात पर भड़क जाते हैं। इसीलिए, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, बिहार, झारखंड और राजस्थान जैसे प्रदेशों में लड़ाई-झगड़े और अपराध की घटनाएं अधिक होती हैं। सौ-पचास रुपए के लिए भी कत्ल हो जाते हैं इन राज्यों में। बात तो सही है, लेकिन इस नजरिए से पहले कभी सोचा नहीं था। शोध का विषय है यह। शायद इसीलिए, पहाड़ी राज्यों के लोग अक्सर शांत स्वभाव के होते हैं और वहां इतने झगड़े नहीं होते हैं। इन दिनों, पूर्वोत्तर के सिक्किम राज्य में फूलों का अंतर्राष्ट्रीय उत्सव मनाया जा रहा है, तो उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत गर्मी से पिघल रहा है। ज्यादातर स्थानों पर औसत तापमान 38 डिग्री चल रहा है तो राजधानी दिल्ली तो एकदम तप रही है।
इस बार अप्रैल में गर्मी ने 122 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। मौसम विभाग का कहना है कि मई भी ऐसा ही जाएगा। ऊपर से, कई प्रदेशों में बिजली की आपूर्ति गड़बड़ाई हुई है और लंबे कट लग रहे हैं। बेतहाशा गर्मी के ऐसे मौसम में पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) बड़ी राहत लेकर आता है। मैं सोचता हूं कि पाकिस्तान की तरफ से हमेशा खराब खबरें आती हैं, लेकिन उस ओर से आने वाला यह डिस्टर्बेंस बड़ा प्यारा होता है, जो हमेशा ठंडी हवा और बारिश की बूंदें लेकर आता है। हालांकि, हाल के सभी वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ठंडक लेकर नहीं आए, छह में से सिर्फ एक कामयाब रहा, जिसने गर्मी से राहत दिलाई और थोड़ी बौछार की। हम समझते थे कि भीषण गर्मी जलवायु परिवर्तन की वजह से पड़ रही है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी ऐसा नहीं मानती। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान में पड़ रही भीषण गर्मी के लिए केवल क्लाइमेट चेंज को जिम्मेदार ठहराना जल्दबाजी होगी। गर्मी का यह दौर बदलते मौसम के अनुरूप है और इसमें लू चलना स्वाभाविक है।
इस बीच, दिल्ली को झीलों का शहर बनाने की तैयारी चल रही है। इसके तहत दिल्ली सरकार क्षेत्र के 250 जलाशयों और 23 झीलों का पुनरोद्धार करने जा रही है। यह एक अच्छी पहल है, जिसका स्वागत होना चाहिए और बाकी सरकारों को भी अधिक से अधिक जलाशय बनाने चाहिए। पानी के खुले स्रोत खत्म होते जाने से पशु-पक्षियों को पीने का पानी नहीं मिल पाता है। ऐसे में प्रशासन और नागरिकों को सड़क पर रहने वाले जानवरों और पक्षियों के लिए जगह-जगह पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। गर्मी बढ़ने से इलेक्ट्रिक टूव्हीलर्स में आग लगने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। चीन में ठंडे इलाकों के लिए बनी बैटरियां हमारे यहां की गर्मी नहीं झेल पातीं, और फट जाती हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं। पता चला है कि इलेक्ट्रिक वेहिकल को सस्ता बनाने के चक्कर में बैटरियां बनाने में लापरवाही की जा रही है, जिससे गर्म होने पर उनमें आग लग जाती है। केंद्र सरकार ने बैटरियां फटने की जांच करने के लिए समिति बना दी है और नए वैहिकल लांच करने पर रोक लगा दी गई है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)