समाचार विश्लेषण/संघर्ष को भीख न कहो कंगना
-*कमलेश भारतीय
रानी झांसी की एक्टिंग कर खुद को वही समझ लेने वाली कंगना रनौत ने पद्मश्री मिलने के बाद एक इंटरव्यू में ऐसी बात कह दी कि बबाल मच गया है । वैसे तो कंगना झांसी की रानी न है , न होगी लेकिन विवादों की रानी जरूर बन चुकी है । इस बयान से तो खूब बदनाम हो रही है । वैसे कंगना को पद्मश्री मिलने पर भी लोगों ने उंगली उठाई है । कंगना ने जो कहा वह भी जान लीजिए -असल में भारत को असली आज़ादी सन् 2014 में मिली और जो सन् 1947 में मिली वह तो कटोरे में रख कर महात्मा गांधी को भीख में दी गयी थी । कमाल का बयान और अपनी अक्ल का , आई क्यू का प्रदर्शन किया है कंगना ने । पर हम यह क्यों भूल जाते हैं कि कंगना ने जहां रानी झांसी का रोल किया है, वहीं फैशन जैसी अनेक फिल्मों में मुम्बइया फिल्म एक्ट्रेस की तरह जमकर अंग प्रदर्शन भी किया है । आज ही मैंने प्रसिद्ध साहित्यकार जैनेंद्र जैन के विचार पढ़े जिसमें वे फिल्मी दुनिया के बारे में सच कहते हैं कि असल में यह रूप प्रदर्शन होता है तो कंगना ने सभ्य भाषा में जमकर रूप प्रदर्शन किया है ।
इसके विरोध में गांधी परिवार से भाजपा के ही सांसद वरुण गांधी आगे आकर पूछ रहे हैं कि जो कुछ कंगना तुमने कहा है क्या इसे राजद्रोह कहूं या पागलपन? उन्होंने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा कि कभी महात्मा गांधी के बलिदान और तपस्या का अपमान तो कभी उनके हत्यारे के प्रति सम्मान और अब मंगल पांडे से लेकर रानी लक्ष्मीबाई , भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेता जी और अन्य लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के लिए बलिदान का तिरस्कार करने के बराबर है यह बयान । मैं इस सोच को पागलपन कहूं या देशद्रोह ? फिल्म इंडस्ट्री के राशिद खान ने भी लिखा कि आज कंगना का बयान पढ़ सुन कर भगत सिंह और उधम सिंह आदि सेनानी स्वर्ग में रो रहे होंगे । जहां भी लोग रो रहे हैं , खुश कौन है ?
क्या भाजपा के सन् 2014 में सत्ता में आने के बाद सारे इतिहास पर इस तरह फुल स्टाॅप लगा दिया जायेगा ? क्या सारा इतिहास झूठा साबित कर दोगी कंगना ? नहीं । इतिहास कभी झूठा नहीं पड़ता न कोई इसके पन्नों को कोई बदल सकता है । क्या शहीद भगत सिंह , नेता जी या अन्य क्रांतिकारी झूठी आजादी के लिए बलिदान हुए थे ? किस गुलामी में जीती रही सन् 2014 से पहले ?
राजनीतिक बदलाव आते जाते रहते हैं और बदलाव आते रहेंगे । आपकी किसी राजनीतिक दल के प्रति आस्था होना कोई बुरी बात नहीं । अक्षय कुमार और सलमान खान ही नहीं बल्कि अनुपम खेर भी इस राजनीतिक दल के आपकी तरह काफी करीब हैं लेकिन अब अनुपम खेर का मन बदल गया है । उन्होंने मन की बात सुननी बंद कर दी है । एक दिन आएगा आप भी जो कहा है उस पर विचार करोगी तब मन में पछताने की अनुभूति होगी । आपको कोई हक नहीं कि स्वतंत्रता के संघर्ष को भीख कहो । सचमुच यह किसी राजद्रोह से कम नहीं कि लाखों लोगों की कुर्बानियां के बाद मिली स्वतंत्रता को भीख कहा जाये ? अच्छा होगा कि राष्ट्र व स्वतंत्रता सेनानियों से माफी मांग लो पर बड़बोली इतनी हो कि यह भी न कर सकोगी ....
जिंदगी में गुजर जाते हैं जो मुकाम
वो फिर नहीं आते, फिर नहीं आते...
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।