समाचार विश्लेषण/परिवार की पार्टी नहीं पर दलबदल की पार्टी न बनाइए भाजपा को 

समाचार विश्लेषण/परिवार की पार्टी नहीं पर दलबदल की पार्टी न बनाइए भाजपा को 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की महत्त्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की ओर संकेत करते कहा कि भाजपा किसी एक परिवार की पार्टी न होकर जनता से जुड़ी पार्टी है और हमें जनता के साथ विश्वास का सेतु बनाये रखना होगा । मोदी ने कहा कि भाजपा किसी एक परिवार की परिक्रमा करने वाली पार्टी नहीं है । पार्टी ने जो मुकाम हासिल किया है वह जनता से जुड़ाव और जनता के विश्वास से ही हासिल किया है । भाजपा सेवा , समर्पण और संकल्प से चलती है । आने वाले पांच राज्यों के चुनाव पर मंथन किया गया और पंजाब में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की गयी । हरियाणा सरकार और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की प्रशंसा की गयी ।
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर बड़ा आरोप लगाया कि असीम नफरत के साथ विपक्ष काम कर रहा है । विपक्ष का रवैया गैर जिम्मेदार है और लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए भी दोषी ठहराया । टीकाकरण अभियान को भी आलोचना के दायरे में रखा गया । विपक्ष इस तरह के दुष्प्रचार में जुटा है कि सरकार के अच्छे काम की भी सराहना नहीं करता । 
खैर । हर पार्टी का काम है दूसरी पार्टियों की आलोचना । अभी पिछले दिनों ममता बनर्जी ने भी गोवा में चुनाव प्रचार करते समय कांग्रेस की आलोचना करते कहा था कि इसके गैर जिम्मेदाराना तरीके और काम काज से मोदी को ही ताकत मिलेगी । जब सवाल किया गया कि कांग्रेस को क्या करना चाहिए तो कहा कि यह मेरी पार्टी नहीं है । कांग्रेस को ही सोचना है । इनके रणनीतिकार प्रशांत किशोर कह रहे हैं कि कांग्रेस कुछ भी कर ले , अभी भाजपा बीस तीस  जाने वाली नहीं । पता नहीं चला कि रणनीतिकार ममता बनर्जी के हैं या भाजपा के ?
जहां तक भाजपा के आरोप की बात है कि कांग्रेस एक परिवार की ही परिक्रमा करने वाली पार्टी है , वहीं भाजपा भी अपने सिद्धांतों और विचारधारा से काफी दूर निकल आई है । भाजपा ने इन वर्षों में जो कुछ हासिल किया उसके लिए विचारधारा नहीं बल्कि दलबदल को ही आधार मानना चाहिए । जहां जहां कांग्रेस सरकारें थीं या तोड़ी जा सकती थीं , वहीं वहीं लोकतंत्र की खुली मंडी लगाकर विधायक खरीदे गये और सरकारें पलट दी गयीं । अभी राजस्थान में सफलता न मिलने का मलाल चाणक्य अमित शाह को आज तक है और सचिन पायलट को भी । कांग्रेस में रह कर भी सचिन अभी तक किसी पद से वंचित हैं तो अपनी भूमिका के चलते । कांग्रेस में युवा और वरिष्ठ नेता दोनों उपेक्षित महसूस कर रहे हैं । युवा भाजपा का दामन थामते जा रहे हैं और वरिष्ठ जी 23 समूह चला र आलोचना किये जा रहे हैं । जहां भाजपा समय रहते विधानसभा चुनावों की तैयारी करती है वहीं कांग्रेस पंजाब में अभी तक सिद्धू और चन्नी की कुश्ती में उलझी है । वहां भी भाजपा को पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की नयी पार्टी का सहारा मिल चुका है । चाहे घोषित या अघोषित । इसी के दम पर सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की गयी है । भाजपा को अधिकार है दूसरी पार्टी को कमजोर कहने , आलोचना करने और पारिवारिक पार्टी कहने का लेकिन खुद दलबदल के रोग से कब छुटकारा पायेगी ? ज्यादातर सरकारें दलबदल से ही बनाई गयी हैं । केंद्र में जरूरत नहीं पड़ी । पश्चिमी बंगाल में चुनाव से पहले दलबदल का नंगा नाच हुआ और अब वही लोग तृण मूल कांग्रेस में वापसी करने लगे हैं । तमिलनाडु में रजनीकांत को पुरस्कार देकर राजनीति में आने ही नहीं दिया गया लेकिन वहां भी भाजपा को सफलता नहीं मिली । जम्मू कश्मीर में महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार बनाने का प्रयोग किया गया जो असफल सिद्ध हुआ ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।