समाचार विश्लेषण/बेरिकेट्स न लगाइए बल्कि फोन लगाइए साहब
-*कमलेश भारतीय
साहब । करनाल में बेरिकेट्स न लगाइए बल्कि फोन लगाइए और फोन काॅल की दूरी पर न रहिए साहब । यह दूरी कुछ काम नहीं आएगी । इंटरनेट बंद न कीजिए बल्कि खोलिए और किसान नेताओं को हैलो बोलिए । अब समय आ गया है वार्ता के द्वार फिर से खोलिए साहब। हाय हाय यह दूरी और यह कैसी मजबूरी कि आप बात भी न कर सकें किसान नेताओं से । बात न करने से मामला बिगड़ता जा रहा है दिन प्रतिदिन । वरुण गांधी ने भी यही सलाह दी है । वार्ता के द्वार खोल लीजिए नहीं तो मुश्किलें बढ़ती जायेंगी । बहुत देर न हो जाये साहब । उत्तर प्रदेश में पहली महापंचायत को मीडिया में दबाने की कोशिश बेकार गयी और असर दीखने लगा है । करनाल में रोक लोगे पर कहां कहां रोक लोगे ? पंजाबी में कहा जाता है :
मनु साडी दातरी
अस्सीं मनु दे सोये
ज्यों ज्यों सानू कटदा
अस्सीं दून सवाये होये ...
यानी जितना दबाओगे , उतना ही बढ़ेंगे और बढ़ते जायेंगे । यही तो हो रहा है । आप टिकरी बाॅर्डर पर सारा ज़ोर लगा रहे हो किसान आंदोलन को हरियाणा में शिफ्ट करने के लिए और वे उत्तर प्रदेश में पहुंच गये जहां विधानसभा चुनाव आने वाले हैं । अब क्या करोगे ? कहां आपकी मर्जी चलने वाली है ...
कहां अपनी मर्जी के हैं हम
जिधर रास्ता मिला उधर चले हम
यही हो रहा है । अभी तो अन्य राज्यों में जायेंगे जैसे उत्तराखंड जहां चुनाव होने वाले हैं । पश्चिमी बंगाल गये दे न ? भूल गये । पर उत्तर प्रदेश को तो नहीं भूलोगे साहब ? सबसे बड़ा राज्य है और सबसे बड़ा समर्थन मिला । कुछ तो सोचिए । कृषि कानून स्थगित कर दीजिए और किसानों को वार्ता के लिए न्यौता भेजिए ।
देर न हो जाये कहीं
धूल न हो जाये ...
साहब। खतरे की घंटियां बजती जा रही हैं । समर पर सुन लीजिए । नहीं तो फिर थैला उठा के चल दीजिए ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।