डॉ. पंकजा ने दिया विद्यार्थियों को खुशनुमा जीवन का मूलमंत्र
रोहतक, गिरीश सैनी। मन खुश रहेगा तो जिंदगी खुशनुमा रहेगी। इसलिए अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। यह उद्गार प्रतिष्ठित मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक एवं लाइफ कोच डॉ. पंकजा सिंह ने शुक्रवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के राधाकृष्णन सभागार में विद्यार्थियों को मेंटल वेलनेस बारे जागरूक करते हुए व्यक्त किए।
मदवि के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी का डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज द्वारा- मेंटल वेलनैस विषय पर आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में डॉ. पंकजा सिंह ने बतौर मुख्यातिथि विद्यार्थियों को खुशनुमा जीवन का मूल मंत्र दिया। अपने प्रेरणादायी संबोधन में डॉ. पंकजा सिंह ने कहा कि तनाव और अवसाद से मुक्ति के लिए इस बारे में खुलकर बोलना पड़ेगा। उन्होंने मन की बातें परिवार और दोस्तों के साथ साझा करने की बात कही।
डॉ. पंकजा सिंह ने मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक के बीच के अंतर को समझाते हुए कहा कि मनोवैज्ञानिक जहां काउंसलिंग थेरेपी करते हैं, मनोचिकित्सक वहीं दवाएं देते हैं। उन्होंने कहा कि तनावग्रस्त महसूस करने पर पहले साइकोमेट्रिक एसेसमेंट करवाएं और जरूरत पड़ने पर ही दवाएं ले। उन्होंने हिप्नोथैरेपी बारे व्यावहारिक जानकारी दी और इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया।
डॉ. पंकजा सिंह ने तनाव से बचने के लिए व्यायाम से जुड़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि योग और ब्रिदिंग एक्सरसाइज मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने में कारगर हैं। उन्होंने कहा कि आज के दौर में तनाव एक चुनौती के तौर पर हमारे सामने हैं। सही परामर्श, आपसी संवाद एवं स्वस्थ जीवन शैली से इसे आसानी से निपटा जा सकता है। डॉ. पंकजा सिंह की टीम से ऋषिका और प्रीति ने फन लर्निंग एक्टिविटी करवाई। भावना ने भी विशेष सत्र संचालित किया। कंचन ने हिप्नोथैरेपी सत्र का संचालन किया।
कार्यशाला के प्रारंभ में यूआईईटी के कार्यवाहक निदेशक प्रो. राहुल ऋषि ने स्वागत भाषण दिया। इस कार्यशाला की कोऑर्डिनेटर डॉ. मंजीत कौर ने कार्यशाला का समन्वयन किया। डॉ. मंजीत कौर ने मुख्यातिथि का परिचय दिया तथा कार्यशाला की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। सह-समन्वयिका डॉ. छवि राणा ने आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर मडूटा प्रधान डॉ. विकास सिवाच समेत यूआईईटी के प्राध्यापक डॉ. सविता खत्री, डॉ. मंजू हुड्डा, डॉ. सुखबीर हुड्डा, डॉ. सीमा, डॉ. गरिमा, डॉ. विकास कुमार, डॉ. कामना सोलंकी, डॉ. कविता, डॉ. प्रीति, डॉ. दीपक छाबड़ा, डॉ. प्रभाकर कौशिक सहित अन्य शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।