डॉ रश्मि खुराना - मानव-मन को पढ़ने और अति सूक्षम भावनाओं को समझने में सक्षम
अनेक पुरुस्कारों व सम्मानों के बाद भी विनम्र
डॉ रश्मि खुराना, डी.लिट्,आकाशवाणी से सहायक केंद्र निदेशक के रूप में सेवा-निवृत्त हैं। अपने 37 वर्ष के आकाशवाणी के सफर में इन्होने हिंदी,अंग्रेजी ,पंजाबी,व उर्दू भाषा के विभिन्न कार्यक्रमों का कुशल निर्देशन किया। क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक कार्यक्रमों की संरचना की। एक प्रसरणकर्मी और वक्ता के रूप में इनकी एक अलग पहचान है। जनसम्पर्क में आना विशेषतः नारी, वरिष्ठ नागरिक, युवा व बाल मन के विचारों और उनकी समस्याओं से ओत-प्रोत बात करने में डॉ रश्मि की विशेष रूचि रहती है। आज भी विभिन्न यूजीसी,यूनेस्को, अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय सेमिनार में ये रिसोर्स-पर्सन के रूप में सक्रिय हैं।
सेवानिवृत्ति के बाद डॉ रश्मि खुराना ने स्वयं को साहित्य के प्रति पूर्णतया समर्पित कर दिया है। उन्होंने हिंदी, पंजाबी व अंग्रेजी में लेखन-कार्य किया है, जिस में सुरभि /कहानी संग्रह (हिंदी); बात निकलेगी तो/ रेडियो संस्मरण (हिंदी); तीन बाल कहानी- संग्रह (अंग्रेजी) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कई पंजाबी पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद भी कर चुकी हैं।
डॉ खुराना संवेदनशील ह्रदय की स्वामिनी हैं। मानव-मन को पढ़ने और अति सूक्षम भावनाओं को समझने में सक्षम हैं। इसके साथ ही वे लेखकीय दायित्व के प्रति भी उतनी ही सजग हैं। अपने पात्रों को, अपनी काव्य रचनाओं को दृढ़ता व सकारात्मकता से प्रस्तुत करतीं हैं।
अनेक पुरुस्कारों व सम्मानों के बाद भी विनम्र रहते हुए डॉ रश्मि खुराना अपने श्रोताओं व पाठकों को ही अपनी वास्तविक उपलब्धि मानती हैं।
आकाशवाणी की सहायक केंद्र निदेशक (पूर्व) डॉ रश्मि खुराना वर्तमान में लीसेस्टर (यूके) में रह रही हैं ।
डॉ खुराना द्वारा रचित एक खूबसूरत रचना यहाँ प्रस्तुत है-
तेरा ख्याल
क्या अजब
अपनी ज़िंदगानी है
ऐसी कभी तूने
सुनी कहानी है
फिर भी देख
अपनी क्या रवानी है
ये कुछ नहीं
तेरे प्यार की
निशानी है
धरती गगन का साथ
उफ़क पे सदा रहा
ये कम है
क्या सोच
किसकी मेहरबानी है
ये मरहले ये फ़ासले
सब कहे सुने
मिलन का ज़िक्र छिड़ा
तो फिर रुत सुहानी है
ये रूह की है
रूह को
बेसाख्ता पुकार
सुनने को नयी लगे
पर दास्ताँ पुरानी है