ईडी और सीबीआई की दस्तक
-*कमलेश भारतीय
पता नहीं हरियाणा में कभी मानसून ने ठीक से दस्तक दी या नहीं लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ईडी और सीबीआई ने ज़ोरदार दस्तक दे दी है। अब लगता है कि सचमुच चुनाव आने वाले हैं । जिस भी राज्य में ईडी और सीबीआई आ जाएं, समझ लिये वहां चुनाव आ गये हैं या आने वाले हैं । यह एक अजब गजब संयोग है कि चुनाव वाले राज्य में ईडी को अचानक से सब गलत ही गलत नजर आने लगता है। आप देखिये, लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप के राष्ट्रीय संयोजक पर ईडी और सीबीआई ने इतना प्यार दिखाया कि चुनाव खत्म हो गये, नयी सरकार ने शपथ भी ले ली लेकिन अरविंद केजरीवाल को जेल के बाहर आने का अच्छा दिन नहीं आया। ईडी से कुछ राहत मिलती है तो सीबीआई प्रेमपाश में लेने आ जाती है और अगर सीबीआई से कुछ राहत मिलती है तो ईडी उन पर मेहरबान हो जाती है। बेचारे केजरीवाल दो-दो प्रेमिकाओं के प्यार में ऐसे फंसे हैं कि जेल से बाहर आने को तरस-तड़प रहे हैं। कोर्ट में अर्जी पर अर्जी और तारीख पर तारीख लेकिन छुटकारा नहीं मिल पा रहा खुली हवा में सांस लेने को तरस गये हैं और सरकार कहती है कि कानून अपना काम कर रहा है और किये की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी।
अब हरियाणा में लोग मानसून की फुहार के लिए तो लोग तरस रहे हैं लेकिन ईडी की जोरदार दस्तक से कांग्रेस के दो-दो विधायकों के दिल दो ही दिन में बुरी तरह धड़क रहे हैं और जैसे 'शोले' में गब्बर ठहाका लगा कर पूछता है-अब तेरा क्या होगा कालिया? कुछ इसी अंदाज में ईडी से भी लोग पूछ रहे हैं कि अब राव दान सिंह और सुरेंद्र पंवार का क्या होगा? ईडी की इतनी मेहरबानी की वजह क्या है? भाजपा हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बना कर हैट्रिक बनाने के मूड में है लेकिन जनता का मूड कुछ ठीक नहीं है। इस मूड को ठीक करने के लिए कांग्रेस और इसके नेताओं को भ्रष्टाचार में लिप्त दिखाने का एक उपाय बच रहा है क्योंकि कांग्रेस 'हरियाणा मांगे हिसाब' कार्यक्रम शुरू कर चुकी है और गांव शहर में इसे अच्छा रिस्पांस मिलते देख भाजपा नेताओं के माथे पर चिंता की रेखाएं दिखने लगी हैं। रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने इस तरह ईडी की दस्तक पर कहा है कि इससे डर कर कांग्रेस हरियाणा में भाजपा सरकार से सवाल पूछना और हिसाब मांगना बंद नहीं करेगी। इसके जवाब में बड़े भाजपा नेता कहते हैं कि जब मैं पाई-पाई का हिसाब देने आया हूँ तो आप कौन होते हो हिसाब पूछने वाले। लो फिर पूछो हिसाब और पूछो और अपने नेताओं को हमारे तीरों से बचा कर दिखाओ।
क्या जॉर्ज फर्नांडिस जेल में बंद नहीं जीत गये थे? क्या सिमरनजीत सिंह मान और अब अमृत पाल सिंह जेल में बंद होने के बावजूद नहीं जीते ? ये जीत यह बताती है कि जब जनता हिसाब करने पर आती है तो कैसे हिसाब ले लेती है। ईडी और सीबीआई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं ऐसे ज़ोरदार झटके के आगे। अभी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में ज़ोर का झटका धीरे से दिया या नहीं ? फिर भी अपने तौर तरीके न बदलकर दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के आदेश शिवरात्रि तक जारी कर दिये। हरियाणा में कितने पेपर लीक हुए और सूटकेस में भारी रकम बरामद की गयी, महिला कोच इंसाफ मांगती रह गयी, किसान फसलों के मुआवजे मांगते धूप और बरसात में धरने देते रहे और पोर्टलों से परेशान दफ्तर दर दफ्तर भटकते रहे तो कांग्रेस हिसाब मांगे या न मांगे लेकिन जनता तो हिसाब मांगने को तैयार बैठी है! किस किस को हिसाब दोगे?
ईडी तू कितनी प्यारी है
प्यारी प्यारी है, ओ ईडी !
वो होते हैं किस्मत वाले
जिनके घर तू होती है
ओ ईडी, ओ ईडी!!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।