समाचार विश्लेषण/ चुनाव खत्म , पैरोल भी खत्म, सत्संग भी बंद
-*कमलेश भारतीय
जी हां , कनेक्शन साफ है और संदेश भी साफ । हरियाणा में चुनाव खत्म तो लो राम रहीम की पैरोल भी खत्म ! यही क्यों ऑनलाइन सत्संग भी खत्म ! क्या ही शानदार कनेक्शन है -चुनाव और पैरोल का ! खूब तार जुडे रहते हैं ! धन्यवाद हो बाबा ! कल अवधि खत्म होगी पैरोल की और सुनारिया जेल में फिर सलाखों के पीछे होगा एक दुष्कर्म का दोषी ! कभी कहानी सुनते थे चालीस चोर और अलाद्दीन की ! खुल जा सिमसिम ! क्या कनेक्शन था ? खुल जा सिमसिम का ? अब पता नहीं क्यों लगता है कि जैसे कोई पुकारे और बाबा हाजिर ! चुनाव आये और कोई पुकारे तो बाबा हाजिर ! है कलयुग का कमाल ! हालांकि पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में भी हर बार गुहार लगाई जाती है लेकिन फैसला तब आता है जब चुनाव खत्म हो चुके होते हैं । यह भी एक अलग मायाजाल है ! ऑनलाइन सत्संग में क्या डिप्टी मेयर , क्या हिसार के मेयर की पत्नी तो क्या पानीपत की मेयर सबने हाजिरी लगवाई । इसकी चर्चा हुई पर किसी को कोई चिंता नहीं थी ! हनीप्रीत को नया नाम दिया गया -रूहानी उर्फ रूह दी !
इस तरह यह लोकतंत्र , चुनाव और ऑनलाइन सत्संग का गठजोड़ आज खत्म हुआ । यह अनोखा गठजोड़ हमारे नेताओं को मुबारक । कोई राजनीतिक दल इसके खिलाफ एक शब्द बोलने को तैयार न हुआ । आदमपुर उपचुनाव में हर नेता से यह सवाल पूछा जाता रहा । जवाब कि यह तो अपनी अपनी श्रद्धा है , कानून अपने रास्ते चल रहा है , कानून का काम है , कोर्ट का काम है ! इसमें हम क्या कर सकते हैं ! इस तरह के जवाब सुनकर इन नेताओं की मासूमियत पर कुर्बान होने का मन करता है ! या फिर यह कहने को जैसे ईसा मसीह ने कहा था कि इन्हें माफ कर दो , ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं !
क्या कभी आसाराम को पैरोल मिली या चुनाव के निकट बाहर निकाला ? रामपाल को बाहर निकाला ? यह भेदभाव भी क्यों ? क्या इनकी हैसियत कम है राजनेताओं की नजर में ? चलिये :
आराम बड़ी चीज है
मुंह ढांप के सोइये!
कौन क्या कर रहा है
आपको क्या पड़ी ?
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।