समाचार विश्लेषण/चुनाव और हिंसा का बढ़ता ग्राफ
-कमलेश भारतीय
चुनाव आते ही निर्वाचन आयोग पहले संवेदन व अति संवेदनशील मतदान केंद्र व क्षेत्रों की सूची बनाता है । अब चुनावों के दौरान हिंसा इतनी बढ़ती जा रही है कि शायद निवाचन आयोग को नाॅर्मल मतदान केंद्रों की सूचियां जारी करनी पड़ें । हालात दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं । चुनाव और हिंसा एक दूसरे के जैसे गले मिल कर आते हैं । एक के बिना दूसरा अधूरा । हिंसा फैलाना भी चुनाव में एक रोज़गार या कहें कि धंधा हो गया अच्छा खासा ।
पहले कभी जम्मू कश्मीर में चुनाव पर इतनी फोर्स लगाई जाती थी लेकिन अब तो पश्चिमी बंगाल में भी फोर्स की कमी नहीं । निर्वाचन आयोग ने इसी आशंका को देखते हुए आठ चरणों में चुनाव रखे लेकिन चार चरण तक आते आते हिंसा चरम पर आ पहुंची है और बाकी चार चरण में यह हिंसा कहां तक पहुंचेगी और अभी कितने मासूम इसकी भेंट चढ़ेंगे ? कोई नहीं कह सकता पर दोनों मुख्य दल भाजपा व तृण मूल कांग्रेस इस हिंसा की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाल कर खुद को मुक्त कर रहे हैं । क्या कभी ताली एक हाथ से बजती है ? नहीं न । तो पश्चिमी बंगाल में चुनाव के दौरान बढ़ती हिंसा के लिए दोनों दल मुख्य तौर पर जिम्मेदार हैं । बेशक ममता बनर्जी और अमित शाह सारा दोष एक दूसरे पर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं । पर जो और जितनी हिंसा बो रही है , वह स्वस्थ लोकतंत्र के हित में नहीं । इससे शरीफ आदमी वोट डालने के लिए निकलने से घबराता है और बहुत बार यही उद्देश्य भी होता है ताकि पार्टियां उन शरीफ लोगों के वोट खुद ही डाल सकें । बहुत सारी बारीकियां हैं इस गेम या पश्चिमी बंगाल के स्वर में खेला में । खेला कौन खेल रहा है हिंसा का ? दीदी अमित शाह और भाजपा पर डालते कह रही हैं कि अपने ही वर्कर्स की गाड़ियां तोड़ फोड़ कर तृणमूल के नाम लगाई जा रही हैं जिससे कि भ्रम फैले । खैर । दीदी की फोर्सेज पर भी विश्वास नहीं रहा । वे कहती हैं कि ये फोर्सिज भाजपा की मदद कर रही हैं । जिस दिन निष्पक्ष होंगीं , मैं इन्हें सैल्यूट करेंगी । मतदान करने आए युवक की गोली मार कर हत्या कैसे ? बम विस्फोट आम बात हो गयी । जैसे बच्चों के खिलौने फूट रहे हों ।
इस सब के बीच निर्वाचन आयोग की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं और इसकी निष्पक्षता भी आशंका के घेरे में आती जा रही है । पहले तो आठ चरण में चुनाव क्यों? फिर प्रधानमंत्री मतदान के बीच दूसरे भाग में जनसभा कर लें , यह आचार संहिता का कैसा पालन ? दीदी पर बैन चुनाव प्रचार पर और वे सवाल उठा रही हैं कि जो भाजपा नेता बयान दे रहे हैं उन पर भी बैन लगाइए चुनाव प्रचार न करने का । यही बातें इसकी निष्पक्षता को प्रभावित कर रही हैं ।
पंजाब , हरियाणा, देव भूमि हिमाचल सब राज्यों में हिंसा का बोलबाला बढ़ता जा रहा है । मासूम लोग इसकी भेंट चढ़ रहे हैं । कौन लगाम लगायेगा इस हिंसा पर ? यह आग कब बुझेगी ?