चुनाव, आरक्षण और भ्रष्टाचार
-*कमलेश भारतीय
-आओ वत्स संजय ! ले चलो मुझे हरियाणा के चुनाव महाभारत में वत्स !
-जी महाराज !
-आजकल वह प्राचीन समय नहीं और न ही कोई कृष्ण, जिसने दिव्य दृष्टि दी हो तुम्हें । फिर मुझ जन्मांध को कैसे समाचार देते हो महाभारत के?
-महाराज ! आप ठीक कह रहे हैं । अब कौन कृष्ण मुझे दिव्य दृष्टि देने आयेगा ! अब तो यूट्यूबर्ज का प्रचलन है और मैं अलग अलग यूट्यूब देखकर ही आपको आंखों देखा हाल सुनाता हूँ ।
-ठीक है वत्स ! शुभारंभ करो फिर आज के महाभारत का !
-महाराज ! हरियाणा के महाभारत में बसपा की प्रमुख सुश्री मायावती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रवेश हो चुका है ।
-पहले मुझे उत्सुकता है कि प्रधानमंत्री मोदी क्या क्या कह रहे हैं ।
-लीजिए महाराज, सुनिये ! प्रधानमंत्री मोदी हर बार की तरह गांधी परिवार को शाही परिवार कह कर उनकी निंदा कर रहे हैं और कांग्रेस व भ्रष्टाचार की राशि एक ही बता रहे हैं !
-अच्छा ! ऐसे क्यों? अब तो सुन रहा हूँ कि सिंधिया जैसा शाही परिवार भाजपा के साथ है । फिर अकेले राहुल गांधी को कोसे जाना क्या न्यायोचित है?
-ये तो महाराज बड़े बड़े नेता ही जानें ! मैं तो एक संवाददाता मात्र हूँ । मैं क्या कह सकता हूँ !
-हां वत्स यह तो सही बात कही ।
-दूसरी बात श्री मोदी कह रहे हैं कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार की राशि एक ही है ।
-वो कैसे वत्स? घोटाले तो भाजपा शासनकाल में भी होते रहे ! स्मरण करो कैसे पंचकूला के कार्यालय में भरे हुए नोट मिले थे ? कभी शराब घोटाला तो कभी कोई घोटाला सामने आता रहा संजय !
-जी महाराज ! आप कह सकते हैं। मैं संवाददाता हूँ, कैसे दोष दिखाऊं? फिर आप जानते हैं कि समरथ को नहिं दोष गुसाईं ! हमारे ही साथी सारे दोष दबा देते हैं !
-यह बात तो है संजय ! अच्छा बसपा प्रमुख मायावती क्या कह गयीं?
-पूरे दस साल बाद मायावती बोली हैं । दस साल तक वे चुप्पी साधे रहीं ।
-क्यों वत्स?
-ये तो वही जानें पर उनकी चुप्पी भारी पड़ी जब लोकसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन बेहद शर्मनाक रहा !
-छोड़ो कल की बातें। अब क्या कह रही हैं?
-कह रही हैं कि आरक्षण पर राहुल रंग बदलते रहते हैं और अभय चौटाला को मुख्यमंत्री बनाने का सपना दिखा रही हैं !
-संजय सपने देखने और दिखाने पर कोई प्रतिबंध तो है नहीं न ! अब मुख्यमंत्री बनने का सपना तो दुष्यंत चौटाला भी देखते थे, वो भी जब कोई रैली होती गाना चलवाते हरियाणे का मुख्यमंत्री आया और वो भी तब मुख्यमंत्री खट्टर की उपस्थिति में, फिर अभय तो चचाश्री ठहरे, उन्हें भी सपने देखने दो न संजय !
-ठीक है महाराज धृतराष्ट्र ! आज सबको सपनों में छोड़ते हैं। आज मुझे अनुमति दीजिये । कल फिर आपकी सेवा में उपस्थित हो जाऊंगा !
-ठीक है वत्स। कल समय पर ही आ जाना !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।