समाचार विश्लेषण /अतीक, अशरफ माफिया का अंत

फिल्मी एनकाउंटर से भी ऊपर 

समाचार विश्लेषण /अतीक, अशरफ माफिया का अंत
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
अपराध और माफिया पर फिल्मी दुनिया मुम्बई में अनेक फिल्में बनी हैं जिनमें डाॅन सबसे ज्यादा चर्चा में है जो दो दो बार बनाई गयी । हाजी मस्तान, करीम लाला और डाॅन के किस्से आज भी हवा में तैरते रहते हैं । इधर उत्तर प्रदेश के अतीक अहमद को भी डाॅन से कम माफिया नहीं माना जाता था । इतना बड़ा कारोबार जो 2368 करोड़ तक पहुंच गया था । राजनीति की बेल को पकड़कर अतीक जेल की सलाखों से भी बचता रहा और फलता फूलता रहा । इसका अंत इतना खौफनाक होगा , वह या कोई भी नहीं जानता था । पर बहुत खौफनाक और फिल्मी एनकाउंटर से भी ज्यादा खौफनाक अंत हुआ । जब मेडिकल परीक्षण के लिये उत्तर प्रदेश की पुलिस ले जा रही थी तब मीडियाकर्मियों में ही छिपे या कहिये उनके रूप में आये तीन युवकों ने बड़े करीब से कनपटी पर गोलियां चलाई और वहीं ढेर कर समर्पण भी कर दिया । कुल दस गोलियां चलाईं । उत्तर प्रदेश पुलिस खुद अपने बचाव में इधर उधर भागी । है न फिल्म से भी ऊपर एनकाउंटर ! सिर्फ दो दिन पहले ही अतीक के बेटे असद को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया था । अतीक के बाकी बेटे सलाखों के पीछे हैं । इस तरह प्रयागराज यानी इलाहाबाद से जो खौफ अतीक का छाया हुआ था , वह वहीं खत्म कर दिया गया । यह इलाका अतीक के खौफ का गढ़ माना जाता था । अब उत्तर प्रदेश में धारा 144 लगा दी गयी है । सुना है और जैसे कि वीडियो में देखा भी है कि मुख्यमंत्री योगी कह रहे हैं कि सारा परिवार खत्म कर देंगे और देखा जाये तो कर भी दिया । सारी सम्पत्ति भी अटैच की जा चुकी है । अतीक की अति ही उसे ले डूबी ।  भाजपा के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा है कि यहीं होता है पाप व पुण्य का हिसाब ! तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में अपराध की पराकाष्ठा हो गयी है । पुलिस सुरक्षा में हत्या हो रही है । सांसद डिंपल यादव का भी यही कहना है । अतीक अहमद सपा व बसपा से राजनीति करते रहे । अब तनाव की आशंका देखते हुए धारा 144 लगा दी गयी है । वैसे भी सत्ता में आते ही राजनेता या मुखिया यही चेतावनी देते हैं कि अब हमारे राज्य से बाहर चले जाओ नहीं तो अंत बहुत बुरा होगा । सबसे बड़ी विडम्बना यह कि जब महात्मा गांधी पर गोली चली तो उनके अंतिम शब्द थे -हे राम और अब जब माफिया अतीक पर गोलियां चलाईं तो कहा कि जय श्री राम ! राम के नाम पर यह घिनौना काम ?  यह  पटकथा किसके इशारे पर लिखी गयी ? 
ये माफिया डाॅन और पहलवान राजनीति की ही बेल के सहारे फलते फूलते हैं । राजनीति इनको सहारा देती है । राजनीति में बाहुबलियों की जरूरत पड़ती है और बढ़ती गयी है ! लोकतंत्र को बाहुबलियों के हवाले किया जा रहा है । क्यों ? विचार की बात है । बाहुबलियों ने राजनीति की दशा व दिशा ही बदल दी है । अब जनता को सोचना है कि इन बाहुबलियों को शरण देने वाली राजनीति को फलने फूलने देना है या इस पर अंकुश लगाना है ? ये राजनीति के रास्ते को कंटक भरा बना रहे हैं ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।