थियेटर करने में आता है मज़ा: सोनिका भाटिया 

थियेटर करने में आता है मज़ा: सोनिका भाटिया 
सोनिका भाटिया।

-कमलेश भारतीय 
चंडीगढ़ की रंगकर्मी सोनिका भाटिया का कहना है कि रंगकर्म से रोज़ी रोटी तो नहीं मिलती लेकिन थियेटर करने में मज़ा खूब आता है । मूल रूप से चंडीगढ़ निवासी सोनिका भाटिया की जड़ें वैसे पंजाब के अबोहर से हैं पर माता पिता यहीं आ गये और पढ़ाई लिखाई भी चंडीगढ़ में ही हुई । जन्म भी यहीं हुआ । चंडीगढ़ के सेक्टर दस स्थित फाइन आर्ट्स काॅलेज से ग्रेजुएशन और फिर जनसंचार गुरु जम्भेश्वर के दूरवर्ती  शिक्षा से की और पत्रकारिता भी की लेकिन मन रमा थियेटर में । 
-शुरूआत किसके साथ ?

-सुरेश शर्मा के साथ धमक नगाड़े दी से । 
-फिर? 
-राजेंद्र शर्मा के साथ और अब प्रदीप शर्मा के साथ रामलीला में सीता का रोल किया । बडा रोमांच भरा अनुभव रहा । 
-अभी और क्या क्या ?
-उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में थियेटर डायरेक्शन और आर्टिस्ट । हाल ही में आपकी कहानी एक न एक दिन का पाठ प्रस्तुत किया । बहुत सशक्त कहानी । अचानक कथा समय के पुराने अंक में मिली । 
-कोई और रोल ?
-बलकार सिद्धू के निर्देशन में लौंग गवाचा की नायिका का रोल किया । 
-कोई संगठन बनाया ?
-जी । यूनीक आर्ट सोसायटी । तीन वर्ष से । इसके माध्यम से छिप्पन तों पहलां शहीद भगत सिंह पर नाटक और अनेक नुक्कड़ नाटक किये हैं ।
-नाटक से , थियेटर से क्या मिलता है ?
- निश्चित तौर पर रोज़ी रोटी तो नहीं मिलती पर खुशी से भरपूर रहती हूं । यही मेरी उपलब्धि है ।
हमारी शुभकामनाएं सोनिका भाटिया को ।