दुनिया को संकट में डालने वाले चीन के हालात बदतर

दुनिया को संकट में डालने वाले चीन के हालात बदतर

एक अप्रैल से भारत में दवाओं के दाम बढ़ने जा रहे हैं। करीब 800 से अधिक जरूरी दवाओं के दामों में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी होने जा रही है। इनमें दर्दनाशक और एंटी वायरल दवाओं के अलावा कई तरह के एंटीबायोटिक्स भी शामिल हैं। दवाओं का उत्पादन करने में जिस कच्चे माल की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है उसे एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इनग्रेडिएंट्स यानी एपीआई कहा जाता है। पहले 90 प्रतिशत एपीआई की खरीद चीन समेत अन्य देशों से की जाती थी। इस तरह से हमारा देश दवाओं के निर्माण के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर करता था। परंतु पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प के बाद भारत को अंदेशा हो गया था कि तनाव की स्थिति में चीन से जरूरी कच्चे माल की सप्लाई बाधित हो सकती है, इसलिए देश ने आत्मनिर्भर होने की दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के अनुसार, दवाओं के उत्पादन के लिए बेहद जरूरी 53 तरह के कच्चे माल में से 35 तरह के एपीआई का उत्पादन भारत में शुरू कर दिया गया, जिससे कि देश को चीन या अन्य देशों पर निर्भर न रहना पड़े। इसी को कहते हैं कि जब कुछ निगेटिव होता है तो उसके फलस्वरूप कई बार कुछ अच्छा भी होता चलता है, जिसके बारे में पहले सोचा भी न गया हो। 

 

जब पूरी दुनिया कोरोना से बेहाल थी तब चीन ने अपने यहां ज़ीरो कोविड नीति अपनाई हुई थी, जिसके तहत एक भी कोरोन संक्रमित मिलने पर पूरे शहर में लॉकडाउन लगा दिया जाता था। उस वक्त तो चीन को लगा कि उसने जंग जीत ली, लेकिन अब उसे इसकी सजा मिल रही है। दरअसल शुरुआती पाबंदियों के कारण चीनियों में पर्याप्त इम्युनिटी विकसित नहीं हो पाई। यही कारण है कि अब चीन को अपने यहां हालात संभालने में नानी याद आ रही है। हालांकि, वहां 88 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी हैं। चीन को अपने सभी 31 प्रांतों में लॉकडाउन लगाना पड़ रहा है। शंघाई जैसे शहरों के हालात ऐसे हैं कि वहां किसी को बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। लॉकडाउन में बाहर निकलने वालों पर 15 हजार रुपए के बराबर जुर्माना लगाया जा रहा है। ऐसे में घरेलू जरूरत की चीजों की सप्लाई को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर घर घर चीजें पहुंचाई जा रही हैं।

 

शंघाई के 20 हजार बैंक कर्मी तो ऐसे हैं जो अपने दफ्तर में ही सो रहे हैं। वहीं उनको भोजन दे दिया जाता है लेकिन घर जाने की अनुमति नहीं है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि देश की बैंकिंग व्यवस्था सुचारु रूप से काम करती रहे। चीन में पिछले दो साल के मुकाबले इस समय कोरोना वायरस ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है, जहां ओमिक्रॉन वेरिएंट के साथ-साथ कुछ कुछ मामले डेल्टा वेरिएंट के भी मिल रहे हैं। हालांकि, ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों की संख्या ज्यादा है। चीन में कोविड 19 मामलों में पिछले हफ्ते औसतन 42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। दुनिया के जिन टॉप 10 देशों में हाल ही में, कोविड 19 के मामलों में वृद्धि देखी गई है, उनमें यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड्स, जर्मनी, स्विटजरलैँड और इटली शामिल हैं। हालांकि, भारत में अगले कुछ माह कोविड बढ़ने की आशंका नहीं है।

 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)