हर एक तीर तरकश से निकला
-*कमलेश भारतीय
-आओ वत्स संजय।
महाराज धृतराष्ट्र ने पदचाप से ही संजय के आगमन का अनुमान लगाते कहा ।
-जी महाराज। आ गया आपकी सेवा में।
बताओ फिर वत्स, क्या क्या चल रहा है चुनाव महाभारत में?
-महाराज धृतराष्ट्र। आज एक दूसरे पर तीर छोड़ने की अवधि समाप्त होने जा रही है और पिछले इक्कीस दिन से चल रहे युद्ध में योद्धाओं ने अपने तरकश से हर तीर चला दिया है। किसी ने कोई कसर नही छोड़ी ।
-जैसे? कोई उदाहरण दो संजय?
-महाराज। सबके सब आये इस महाभारत में -क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, क्या गृहमंत्री अमित शाह, क्या विपक्ष के नेता राहुल गांधी या फिर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे या फिर स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी। या फिर बसपा सुप्रीमो मायावती सहित अनेक मुख्यमंत्री, मंत्री, पूर्व मंत्री और राज बब्बर, स्मृति ईरानी व हेमामालिनी जैसे फिल्मी दुनिया के लोग भी इस युद्ध में व्यंग्य बाण चलाते देखे व सुने गये।
-वाह संजय। प्रजा तो गद्गद् हो रहे होगी न ?
-जी महाराज लेकिन रतिया में प्रजा को निराश भी होना पड़ा ।
-वह क्यों?
-दोपहर से अनाज मंडी में डटे रहे लेकिन शाम होने आई पर हेमामालिनी न आई ।
-पर जो आये उन्होंने क्या क्या कहा?
-वही परंपरागत बातें कहीं महाराज ।
-कैसी बातें?
-यह दूध दही का खाना, यह कृष्ण के गीता संदेश का हरियाणा! यहां किसान, पहलवान और जवान की महिमा न्यारी न्यारी है ।
-फिर?
-जवान, पहलवान और किसान पर मचा रहा घमासान। पर्ची खर्ची और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश होता रहा सभी पक्षों की ओर से । ऐसे लगा जैसे इस हमाम में सब एक जैसे रहे होंगे ।
-बात तो उचित लग रही है। और कोई खबर?
-कांग्रेस के प्रत्याशी को समर्पण का नोटिस मिला है।
-अरे संजय ऐसा क्यों?
-महाराज पिंजरे से बाहर आकर कुछ तोते काम कर रहे हैं तो कुछ सज्जन और सुशील व्यक्ति कारागार से बाहर आकर खेल खेल रहे हैं या खेलने के लिए छोड़ दिये गये हैं।
-यह तो महाभारत सचमुच हो रही है, संजय।
-जी महाराज ! छलकपट सिर्फ महाभारत में ही नहीं चुनाव में भी चरम पर होती है।
-आज तो यह युद्ध समाप्त हो जायेगा?
-जी महाराज लेकिन परिणाम के बाद का खेल भी मज़ेदार होता आया है।
-ठीक है सन जय, चुनाव के बाद की बात, चुनाव के बाद। अब विश्राम।
-ठीक है महाराज। विदा दीजिये मुझे।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।