गुणवत्तापरक शोध की उत्कृष्ट संस्कृति को प्रोत्साहन दिया जाएगा एमडीयू मेः कुलपति प्रो. राजबीर सिंह

शोधार्थियों से संवाद कार्यक्रम आयोजित।

गुणवत्तापरक शोध की उत्कृष्ट संस्कृति को प्रोत्साहन दिया जाएगा एमडीयू मेः कुलपति प्रो. राजबीर सिंह

रोहतक, गिरीश सैनी। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में भविष्य में अनुसंधान और नवाचार पर फोकस रहेगा। विश्वविद्यालय में अनुकूल तथा प्रभावी रिसर्च इको-सिस्टम विकसित करने का आह्वान कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने किया। कुलपति ने वीरवार को सामाजिक विज्ञान, शिक्षा, मानविकी  विधि, वाणिज्य तथा प्रबंधन, अंतर विषयक संकायों के शैक्षणिक विभागों के शोधार्थियों से संवाद के दौरान कुलपति ने शोधार्थियों को प्रेरित किया।

कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि एमडीयू में गुणवत्तापरक शोध की उत्कृष्ट संस्कृति को प्रोत्साहन दिया जायेगा। शोधार्थियों के क्षमता संवर्धन के लिए विभिन्न कार्यशालाओं/कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। कुलपति ने कहा कि शोध कार्य के जरिए सामाजिक-राष्ट्रीय उत्थान का कार्य किया जा सकता है। इस संबंध में शोधार्थियों से गुणवत्तापरक शोध प्रकाशनों में शोध आलेख लिखने के लिए प्रेरित किया। कुलपति ने शोधार्थियों को 'न्यू नॉलेज क्रिएटर' बनने का आह्वान किया।

इस शोधार्थी संवाद कार्यक्रम के प्रारंभ में डीन, आर एंड डी प्रो. अरुण नंदा ने स्वागत भाषण दिया। प्रो. अरुण नंदा ने कहा कि कुलपति प्रो. राजबीर सिंह की प्रेरणा से 29 नवंबर को विज्ञान विषयों के शोधार्थियों से संवाद किया गया। इसी कड़ी में गैर विज्ञान विषयों के शोधार्थियों से संवाद किया जा रहा है। एमडीयू में बेहतर शोध माहौल विकसित करने में ये संवाद कार्यक्रम अहम भूमिका निभाएगा।

डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि शोध ज्ञान प्राप्ति प्रक्रिया का उत्कर्ष है। प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने ईमानदारी, सत्यनिष्ठा तथा विशिष्टता के साथ शोध करने का आग्रह शोधार्थियों से किया।

रजिस्ट्रार प्रो. गुलशन लाल तनेजा ने कहा कि एमडीयू पूरे हरियाणा में शोध क्षेत्र के मानक एच इंडेक्स, आई इंडेक्स, साइटेशन इंडेक्स आदि में अव्वल है। जरूरत है कि बेहतरीन शोध तथा शोध प्रकाशन से एमडीयू को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जाए।

कुलपति सम्बोधन उपरांत शोधार्थियों से इंटरेक्शन सत्र का आयोजन किया गया। शोधार्थियों ने शोध प्रक्रिया, शोध ईको सिस्टम बारे महत्वपूर्ण सुझाव दिए। आभार प्रदर्शन प्रो. अरुण नंदा ने किया।