प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन प्रकृति तथा पर्यावरण के दृष्टिकोण से घातकः प्रो सुरेन्द्र कुमार
रोहतक, गिरीश सैनी। सामाजिक-आर्थिक विकास का समग्र, समावेशी तथा संतुलित होना जरूरी है। सामाजिक-आर्थिक विकास से समाज-राष्ट्र का कोई वर्ग छूटना नहीं चाहिए। साथ ही, विकास संपोषणीय होना चाहिए। ये विचार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता प्रो सुरेन्द्र कुमार ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए।
भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएमआर) द्वारा ''अचीविंग सस्टेनेबिलिटी @ 75: इंडियाज मार्च टूवर्डस बीकमिंग ए डेवलप्ड नेशन बाई 2047'' विषयक इस दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ बुधवार को राधाकृष्णन सभागार में हुआ।
अधिष्ठाता प्रो सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन भी प्रकृति तथा पर्यावरण के दृष्टिकोण से घातक है। औद्योगिक विकास में भी प्राकृतिक संतुलन का ध्यान देना जरूरी है। वाणिज्य जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है। ऐसे में विकास की नीतियां तथा कार्यक्रम समावेशी तथा समग्र होने चाहिए।
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (महेंद्रगढ़) के प्रबंधन विज्ञान विभाग के निदेशक प्रो आशीष माथुर ने उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता ने कहा कि सन् 2047 तक विकसित राष्ट्र का लक्ष्य पूरा करने के लिए नवाचारी उद्यमिता-उन्मुख मानसिक सोच विकसित किए जाने की जरूरत है। साथ ही, जन मानस को संपोषणीय जीविका उपार्जन के लिए तैयार करना होगा। 'वोकल फॉर लोकल' की अवधारणा को मूर्त रूप देना होगा। इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ राज्य में कोडो मिलैट (मोटा अनाज) की केस स्टडी प्रो आशीष माथूर ने साझा की। उन्होंने कहा कि अनेक नए क्षेत्रों में उद्यमिता के बेहतरीन अवसर हैं। इन क्षेत्रों में नवाचारी अधिगम के साथ आर्थिक विकास का रास्ता प्रशस्त करना होगा।
कार्यक्रम के प्रारंभ में पारंपरिक दीप प्रज्जवलन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो राजपाल ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि आजादी के अमृत काल में राष्ट्रीय विकास यात्रा पर मंथन तथा भविष्य की रणनीति पर विचार जरूरी है। आयोजन सचिव डॉ मनोज कुमार ने संगोष्ठी की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला । उन्होंने बताया कि सामाजिक तथा आर्थिक विकास तथा संपोषणीय विकास के विविध पहलुओं पर संगोष्ठी में चर्चा होगी। आभार प्रदर्शन संगोष्ठी संयोजिका डॉ सीमा राठी ने किया। इस मौके पर वाणिज्य विभाग के सभी प्राध्यापक, अन्य विभागों के प्राध्यापक, संगोष्ठी के प्रतिभागी डेलीगेट्स, शोधार्थी व विद्यार्थी मौजूद रहे। इस दो दिवसीय संगोष्ठी में लगभग 150 डेलीगेट्स भाग ले रहे है।