समाचार विश्लेषण/शब्द की शक्ति में विश्वास बराबर
-कमलेश भारतीय
इधर कोरोना के संकट के चलते प्रिंट मीडिया बुरी तरह प्रभावित हुआ था । समाचारपत्र और पत्रिकाएं तक प्रभावित हुईं । कादम्बिनी और नंदन जैसी लम्बे समय से निकल रही पत्रिकाएं अचानक इसकी भेंट चढ़ गयीं । बहुत दुखद । एक बार प्रसिद्ध रचनाकार राकेश वत्स का इंटरव्यू किया था और उसका शीर्षक दिया था -शब्द की शक्ति में मेरा विश्वास जगमगाया नहीं । अगर एडिटर्स की संस्था की मानें तो सचमुच शब्द की शक्ति में अभी पाठकों का विश्वास डगमगाया नहीं । कैसे ? यह संस्था आंकड़ों सहित बता रही है कि कोरोना के बावजूद अब प्रिंट मीडिया फिर से लोकप्रिय हो रहा है । बहुत सुखद खबर । नभछोर सहित अनेक सांध्य दैनिकों को एक डेढ़ माह सिर्फ ऑनलाइन निकालना पड़ा लेकिन पाठकों का प्यार बरकरार रहा और अब फिर से प्रिंट होने लगे तो मांग बढ़ रही है । यह बहुत खुशी की बात ।
इधर जनसत्ता का हर वर्ष की तरह दीपावली विशेषांक आया है और संपादक मुकेश भारद्वाज ने बहुत ही
खूबसूरत बात संपादकीय में लिखी है कि साहित्य के माध्यम से इस कोरोना में भी एक उम्मीद का दीया साहित्य का जलाया है जिससे सकारात्मक सोच समाज और साहित्य में जायेगी । पहले कितनी ही पत्रिकाओं के दीपावली विशेषांक आते थे लेकिन इस बार यह पहला ही दीपावली विशेषांक मिला । साहित्य में साधना करने का काल ही असल में कोरोना काल है । साहित्य को ऑनलाइन फैलाने का काल ही कोरोना काल है । कितने वेबिनार और कितना ही लाइव संवाद कार्यक्रम । हिसार की वानप्रस्थ संस्था की ओर से कितने सफल वेबिनारों का आयोजन व संचालन दूरदर्शन हिसार के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह ने किया । अन्य संस्थाएं भी ऑनलाइन काव्य गोष्ठियों के आयोजन में व्यस्त हैं । इनके बावजूद हिसार के सर्वोदय भवन में सीधे संवाद की परंपरा निरंतर चल रही है । दो कार्यक्रमों में जाने का अवसर मिला वक्ता का रूप में । राज्यकवि परमानंद व सही राम जौहर की स्मृति में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल हुआ । सर्वोदय भवन और इनके परिवारजनों ने संवाद की व्यवस्था की । ऐसे परिवार सराहना के योग्य हैं जो अपने पुरखों को याद रखते हैं और उनकी स्मृति बनाये और संजोये रखते हैं । सही है और फिर से कह सकता हूं कि शब्द की शक्ति में विश्वास डगमगाया नहीं।
शब्द ब्रह्म और शब्द ही ईश्वर । शब्द कि महिमा न्यारी ।