समाचार विश्लेषण/सोनिया की विदाई, राहुल से आस 

समाचार विश्लेषण/सोनिया की विदाई, राहुल से आस 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
कांग्रेस को एक समय अपने रोड शो से संजीवनी प्रदान करने वाली राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रायपुर के अधिवेशन में सक्रिय राजनीति से विदाई के संकेत दे दिये हैं । कांग्रेस जब सत्ता से बाहर थी तब रोड शो के जादू से इसे फिर से सिंहासन तक लाने में सोनिया की भूमिका को कौन भूल सकता है ! अब कांग्रेस एक बार फिर सत्ता से बाहर है और सोनिया विदा हो रही हैं लेकिन वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से , इसके प्रभाव से खुश है और उन्हें आशा है कि कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करेगी । सोनिया कह रही हैं कि मेरी अब उम्र हो गयी । अब युवा आगे आयें ! अब मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में युवाओं को पार्टी में आगे आना चाहिए ! 
सोनिया ने कहा कि अब भाजपा व आरएसएस ने देश की हर संस्था पर कब्जा कर लिया है । ईडी और सीबीआई जैसी अन्य केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग किया जा रहा  है । बेतहाशा महंगाई बढ़ रही है जिससे आम जन का जीवन दुश्वार हो रहा है । समाज मे नफरत फैलाई जा रही है । यही हमारे मुद्दे बनने जा रहे हैं । विपक्षियों को सबकी भागीदारी और सबकी साझेदारी के मंत्र से जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए ! 
 सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद के ऐन करीब आकर पीछे हट गयी थीं जब मुलायम सिंह यादव ने विरोध किया और इस तरह अचानक से मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप मे सामने आये और सन् 2004 से 2009 तक इस पद पर रहे लेकिन मंचों पर हास्य कवि कहते थे कि सरकार चल गयी तो सोनिया की और फेल रही तो सरदार की ! खुद नरेंद्र मोदी इन्हे मौनी बाबा कहते रहे । कांग्रेस के दो बार के शासनकाल में हुए घोटालों से जनता हैरान रह गयी और नरेंद्र मोदी कहते थे जनसभाओं में कि टू जी , थ्री जी और जीजा जी की सरकार ! हालांकि बाद में कुछ घोटाले आईटी सेल का ही कमाल निकले लेकिन कांग्रेस की छवि को धूमिल करने में भाजपा सफल रही और सत्ता में आकर आयेंगे अच्छे दिन के सपने दिखाये ! सबका साथ और सबका विकास का नारा भी चला ! 
अब सन् 2024 पर सबकी नजर है । भारत जोड़ो यात्रा से क्या राहुल इसे सत्ता के द्वार तक ले आने में सफल हो पायेंगे ? क्या दूसरे दल राहुल के नेतृत्व को स्वीकार करेंगे ? क्या नीतिश कुमार का भी कोई सपना है ? क्या ममता बनर्जी का सपना अब नहीं रहा ? कांग्रेस की कार्यशैली में बदलाव आयेगा और जैसा कि खुद सोनिया गांधी ने कहा कि युवाओं को आगे आना चाहिए तो क्या युवाओं को आसानी से वरिष्ठ नेता रास्ता दे देंगे ? कांग्रेस की हर मुद्दे व  समस्या को लटकाने की नीति बदलेगी ? कितना कुछ बदलेगा सोनिया की विदाई के साथ ?
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।