समाचार विश्लेषण/किसान आंदोलन: बस तेरी 'हां' है बाकी
-*कमलेश भारतीय
लगभग एक साल चले लम्बे आंदोलन की जीत किसानों के हक में गयी जब टी वी चैनलों पर आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी , जिनका विरोध किसान कर रहे थे और इन कानूनों को काले कानून कह रहे थे । इस घोषणा के बाद किसानों ने दिल्ली के आसपास बाॅर्डरों पर जश्न तो मनाया लेकिन घर वापसी की कोई घोषणा नहीं की । इससे सरकार का चिंतित होना जरूरी था क्योंकि उतर प्रदेश , पंजाब व उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों की तैयारियां करनी थीं और इस फैसले को गोदी मीडिया की ओर से मास्टर स्ट्रोक साबित करना था लेकिन यह न हुआ । किसान नेताओ ने एकदम वापस जाने का फैसला नहीं किया बल्कि मांग उठाई कि पहले एम एस पी का फैसला कर ही दो साहब । बार बार क्या आंदोलन करेंगे । यही नहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर भी अति उत्साहित हुए और किसान नेताओं को वार्ता के लिए बुला लिया ताकि बाॅर्डरों पर रास्ते खुलवा कर वाहवाही लूट सकें । बात वार्ता में अभी सिरे नहीं चढ़ी क्योंकि किसान नेता सब से पहले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किये गये केसों की वापसी की प्रमुख मांग रख रहे हैं क्योंकि इस आंदोलन में हजारों किसान प्रदर्शनकारियों पर राज्य भर में केस दर्ज हैं । यदि इन्हें वापस लेने की घोषणा न की गयी तो किसान नेताओं को डर है कि आरक्षण आंदोलन की तरह बाद में सरकार इन्हीं केसों को लेकर परेशान करती रहेगी । इसीलिए बाॅर्डर पर किसानों ने अपने ही नेताओं के सामने प्रदर्शन कर अभी आंदोलन वापस न लाने की मांग की जिसे स्वीकार कर लिया गया और यह आंदोलन जारी रहेगा ।
हालांकि प्रधानमंत्री ने तो कह दिया कि हम तो दिल दे ही चुके हैं , बस तेरी 'हां' है बाकी लेकिन किसान अभी 'हां' कहने के मूड में नहीं हैं । इसीलिए अभी नेताओं के विरोध को जारी रखे हुए हैं । फिर चाहे वे राज्यपाल के प्रोग्राम हों या मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के प्रोग्राम । विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे । यहां तक कि हिसार बार एसोसिएशन में चल रहा विरोध प्रदर्शन भी जारी रखने व दुष्यंत चौटाला के बार में आने पर विरोध करने का फैसला किया गया है । एक राय है कि यदि प्रधान मंत्री ने खुले दिल से कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की है तो उतने ही खुले दिल से किसानों पर दर्ज केस भी वापस लेने की सलाह राज्य सरकारों को देनी चाहिए जिससे माहौल शांत हो सके और किसान ससम्मान अपने घर लौट सकें । यही श्रेयस्कर होगा ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।