समाचार विश्लेषण/किसान और कर्मचारी आंदोलनरत
-कमलेश भारतीय
हरियाणा और अन्य राज्यों में किसान आंदोलनरत हैं । किसान किनारों के खिलाफ । किसान को आंदोलन के लिए मजबूर किसने किया ? हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद की कैंटीन में थाली लेकर खाना खाने के बाद लिखा था -अन्नदाता । उसी अन्नदाता की इतनी उपेक्षा क्यों ? उसी अन्नदाता को अपनी मांग या मजबूरी बताने के लिए सड़कों पर आना पड़े और दिल्ली कूच करने के लिए भी लाठीचार्ज का सामना करना पड़े । फिर वह कैसा अन्नदाता? कैसा सम्मान? कैसा मान ? हर शहर और बाॅर्डर पर पुलिस खड़ी है स्वागत् में ? आधी रात को किसान नेताओं की धरपकड़ क्या अंग्रेज़ी राज की याद नहीं दिलाती ? यह अपना राज कैसा ? लाठी और अश्रु गैस से स्वागत् । किसके लिए ?
बरोदा के उपचुनाव के बाद विपक्ष की आवाज़ में दम पैदा हो गया है । विपक्ष ने बुलंद आवाज़ में सरकार को घेरना शुरू कर दिया । अब किसान तो क्या कर्मचारी भी आंदोलनरत हो गये हैं । किसानों की तरह आंदोलन की घोषणा कर दी है । कोई बिजली की शिकायत नहीं सुनी जायेगी । बिजली पानी की सप्लाई नहीं । आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ेगी । वह अलग से । आखिर जनता कैसे राहत मिलेगी? सोचने की बात । किसान को राहत दी जानी चाहिए ।