समाचार विश्लेषण/किसान भिखमंगे नहीं, मलिक की हुंकार
-कमलेश भारतीय
किसान आंदोलन के दौरान अपनी टिप्पणियों से चर्चित मणिपुर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार केंद्र सरकार को चेतावनी जैसी बात कह दी है । मलिक ने जींद के कंडेला गांव में हुंकार भरी है कि अभी मेरा छह सात माह का कार्यकाल बचा है , उसके बाद उत्तर भारत में घूम घूम कर किसानों को कहूंगा कि एक हो जाओ और दिल्ली पर अपना राज बनाओ । हम इनसे मांगते हैं तो ये समझते हैं कि हम भिखमंगे हैं । किसी को मांगने की जरूरत नहीं । मलिक ने यह भी बताया कि किसान आंदोलन के दौरान जब वे प्रधानमंत्री से मिलने गये तो मैंने उनसे कहा कि आप गलतफहमी में मत रहने ? ये जो सिख हैं , ये वे हैं जिनके गुरु ने अपने लड़कों के सिर कटवा दिये थे लेकिन समझौता नहीं किया था । और हमारे वाले , ये तो हारते ही नहीं किसी से ।
सत्यपाल मलिक को कंडेला में आयोजित समारोह में किसान रत्न से नवाजा गया है । इसी अवसर पर मलिक संबोधित कर रहे थे । इस टिप्पणी से कहीं समय पूर्व ही विदाई न दे दी जाये मलिक को ।
किसान आंदोलन संभवतः अब तक के सबसे लम्बा चले आंदोलनों में एक है और इसमें सैंकड़ों किसानों की जानें गयीं । प्रधानमंत्री ने शुरू में कुछ दौर की वार्ता के बाद बातचीत के द्वार बंद कर दिये थे और एक फोन काॅल की दूरी पर बैठे रहे थे । आखिर जब पांच राज्यों और उनमें से भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव सिर पर आ गये तब इनकी चुप्पी टूटी और एकतरफा टी वी पर आकर किसान कानून रद्द करने की घोषणा कर दी । इसके बावजूद लखीमपुर खीरी में किसानों पर गाड़ी चढ़ा देने वाले मंत्रीपुत्र की जमानत हो गयी और उनके पिता को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया ।
अब यह हठधर्मिता चुनाव परिणाम पर कितना असर डालेगी , यह तो परिणाम ही बतायेंगे लेकिन सभी तरफ यह चर्चा ए आम है कि भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में बहुत संघर्षशील समय है और सपा से बड़ी टक्कर मिल रही है । पंजाब में भी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के साथ चुनाव लड़ रही है भाजपा लेकिन मुख्य मुकाबला आप और कांग्रेस के बीच बताया जा रहा है जबकि राम रहीम की फरलो देकर पासा पलटने की कोशिश की गयी । यह कोशिश क्या रंग दिखाती है , यह भी परिणामों से पता चलेगा । उत्तराखंड में भी टक्कर है ।
किसान आंदोलन के दौरान जो निष्ठुर रवैया अपनाया , उसका खमियाजा तो भुगतना ही होगा । सत्यपाल मलिक जैसे कुछ लोगों ने बार बार चेताया था लेकिन मोदी और शाह की जोड़ी ने किसी की नहीं सुनी । अब देखिए कि क्या परिणाम आते हैं लेकिन एकबारगी तो उत्तर प्रदेश में पसीने छूट गये ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।